Apple Iphone 8: क्या है ऑगमेंटेड रिएलिटी, iOS11 पर कैसे कर पाएंगे इस्तेमाल
कुक का ऐसा मानना है की आने वाले समय में ऑगमेंटेड रियलिटी स्मार्टफोन से भी ज्यादा क्रांति लाने में सक्षम है
नई दिल्ली। वर्ष 2011 में एप्पल का चीफ एग्जीक्यूटिव बनने के बाद टीम कुक ने नई टेक्नोलॉजी को लेकर समय-समय पर अपनी रूचि जाहिर की है। इसमें ड्राइवलेस कार से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं। लेकिन जिस तरह टीम कुक को ऑगमेंटेड रियलिटी ने आकर्षित किया है, ऐसा कोई अन्य टेक्नोलॉजी नहीं कर पायी। कुक का ऐसा मानना है की आने वाले समय में ऑगमेंटेड रियलिटी स्मार्टफोन से भी ज्यादा क्रांति लाने में सक्षम है। कुक के अनुसार, आने वाले समय में हम रोजाना ऑगमेंटेड रिएलिटी का अनुभव करेंगे। ये हमारी जिंदगी में उतना ही जरुरी हो जाएगा, जितना दिन में तीन समय का खाना होता है। और अब एप्पल के कल के इवेंट के बाद टीम कुक का यह फ्यूचर विजन आईफोन में भी देखने को मिला।
सबसे पहले आपको AR और VR का अंतर समझा दें, क्योंकि अधिकतर लोग इन दोनों को एक-जैसा मान लेते हैं। आइये जानें क्या है ऑगमेंटेड रियलिटी और किस तरह यह वर्चुअल रियलिटी से अलग है?
ऑगमेंटेड रिएलिटी एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो रियल-लाइफ इमेजेज के ऊपर वर्चुअल इमेजेज का इस्तेमाल करने के लिए फोन, टैबलेट या किसी सॉफ्टवेयर का प्रयोग करती है। इसका सबसे आसान उदाहरण पोकेमोन गो है। इसमें यूजर्स अपनी रियल-लाइफ एनवायरनमेंट में अपने फोन के जरिये पोकेमोन को देख पाते हैं।
इसके अलावा स्नैपचैट में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें यूजर्स कैमरे के जरिए एमोजिस और फ़िल्टर का इस्तेमाल कर पाते हैं, जैसे की बन्नी इयर्स।
एप्पल अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग वर्चुअल रिएलिटी की जगह ऑगमेंटेड रिएलिटी पर ध्यान दे रहा है। ऑगमेंटेड और वर्चुअल में बहुत सीधा सा अंतर है। ऑगमेंटेड रिएलिटी स्क्रीन पर रियल लाइफ इमेजेज पर कंप्यूटर से बनी इमेजेज दिखता है। मतलब ऑगमेंटेड रिएलिटी का अनुभव लेने के लिए आपको किसी अन्य गैजेट की जरुरत नहीं पड़ेगी। वहीं, वर्चुअल रिएलिटी में इस अनुभव के लिए हेडसेट की जरुरत पड़ती है। इसी के साथ इसमें रियल दुनिया का कुछ दिखाई है देता।
आईफोन 8 और आईओएस 11 किस तरह करेंगे ऑगमेंटेड रियलिटी का प्रयोग:
इस साल WWDC में एप्पल ने संकेत दिए थे की कंपनी AR मार्किट में कदम रख सकती है। आईओएस 11 में भी ARkit आने की बात कही गई थी। यह एप्पल द्वारा लाया गया नया टूल है, जो ओएस में बड़ी भूमिका निभाएगा। एप्पल ने कहा था की ARKit से फैट्स और स्टेबल मोशन ट्रैकिंग की जा सकेगी। एप्पल के लांच इवेंट में इसका उदाहरण गेम खेलकर दिया गया था।
ऑगमेंटेड रिएलिटी का सबसे अच्छा अनुभव देने के लिए अब तक कोई उसके थोड़ा करीब पंहुचा भी है, तो वो है पोकेमोन गो के साथ Niantic, हालांकि यह भी AR का बहुत अच्छा उदाहरण नहीं है। AR में अभी बहुत कुछ ऐसा है, जिसे छुआ भी नहीं गया है। माइक्रोसॉफ्ट ने HoloLens के साथ इस क्षेत्र में अच्छा काम किया है। लेकिन यह डिवाइस बहुत महंगी है, जिससे इसका इस्तेमाल केवल सीमित डेवलपर्स ही कर पाते हैं।
ऑगमेंटेड रियलिटी के सच्चे ओर बढ़िया अनुभव के लिए, आपको 3D दुनिया को समझना आना चाहिए। इसी के साथ एक सॉफ्टवेयर की भी जरुरत होगी। इससे आप अपने आस पास की चीजों को एक अलग तरीके से देख पाएंगे। इसमें गैजेट की प्रोसेसिंग पावर भी अच्छी होनी चाहिए। इसके आलावा भी अभी इस क्षेत्र में बहुत सी चुनौतियां हैं। इस डिवाइस को कॉम्पैक्ट, बढ़िया बैटरी लाइफ और सबसे अधिक महत्वपूर्ण वांछनीय होना जरुरी है। यह सब इतना आसान भी नहीं है।
यह भी पढ़ें:
जियो और एयरटेल की इस मामले में फिर से शुरू हुई लड़ाई, जानें पूरा मामला
वोडाफोन ने यूजर्स के लिए पेश किया इंटरनेशनल रोमिंग प्लान, जानें डिटेल्स
Apple iPhone X 3 नवंबर को देगा भारत में दस्तक, 89000 रुपये हो सकती है कीमत