कितने तरह की होती हैं स्मार्टफोन स्क्रीन और कैसे करती हैं काम, जानिए
इस खबर में हम आपको टचस्क्रीन की बदलती तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं
नई दिल्ली (शिल्पा श्रीवास्तवा)। बदलती तकनीक के साथ मोबाइल फोन कंपनियां स्मार्टफोन के डिस्प्ले पैनल्स में भी काफी बदलाव कर रही हैं। इन दिनों फीचर फोन के छोटे से डिस्प्ले से लेकर OLED, AMOLED, POLED, फ्लैक्सीबल, बेंडेबल डिस्प्ले पैनल टर्मिनोलॉजी में कई बदलाव देखे जा रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है कि स्मार्टफोन में दिए जाने वाले इन डिस्प्ले में क्या अंतर होता है? इस खबर में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि टचस्क्रीन फोन्स में दी जाने वाली स्क्रीन कितने तरह की होती हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट:
टेक एक्सपर्ट विभा सचदेव के अनुसार, “मोबाइल की स्क्रीन में जबरदस्त इनोवेशन हुए हैं। जहां पहले औसत स्क्रीन साइज 4.7 इंच लोगों की पसंद माना जाता था। वहीं, अब यूजर्स को 5.5 इंच के स्मार्टफोन ज्यादा पसंद आते हैं। हाई रेजोल्यूशन स्क्रीन्स पर कंपनियां ज्यादा फोक्स कर रही हैं। वहीं, स्क्रीन की पावर एफिशियंसी पर भी उतना ही ध्यान दिया जा रहा है। एक्टिव स्क्रीन के बाद अब लोकप्रियता का अगला स्तर फ्लैक्सिबल डिस्प्ले होगा। इसी के चलते कंपनियां एमोलेड डिस्प्ले पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।”
जानें कितने तरह की होती हैं स्मार्टफोन स्क्रीन:
TFT LCD: यह डिस्प्ले यूनिट काफी कॉमन है। इसे कई मोबाइल फोन्स में इस्तेमाल किया जाता है। यह डिस्प्ले बेहतर इमेज क्वालिटी और हाई-रेजोल्यूशन देने में सक्षम है। लेकिन धूप में TFT LCD डिस्प्ले साफ दिखाई नहीं देता है। इन्हें ज्यादातर बजट फोन्स और फीचर फोन्स में ही इस्तेमाल किया जाता है।
IPS-LCD: यह डिस्प्ले बजट से ऊपर के स्मार्टफोन्स में इस्तेमाल किया जाता है। अगर इसकी तुलना TFT डिस्प्ले से की जाए तो IPS LCD फोन में वाइड एंगल व्यू जैसे अनुभव देता है। साथ ही बैटरी की भी कम खपत होती है। इसका हाई-रेजोल्यूशन 640 x 960 पिक्सल है।
Resistive Touchscreen LCD: टचस्क्रीन LCD डिस्प्ले दो तरह के होते हैं। पहला Resistive और दूसरा Capacitive. Resistive टचस्क्रीन में कंडक्टीव मैटेरियल की दो परत दी गई हैं। जब यूजर द्वारा डिस्प्ले को छुआ जाता है तो ये दोनों परत आपस में मिलती हैं और सर्किट बनाती हैं और ऐसे ही यह स्क्रीन काम करती है।
Capacitive Touchsceen LCD: इसमें ट्रांसपेरेंट कंडक्टर के साथ ग्लास की लेयर दी गई होती है। जब इस स्क्रीन को टच किया जाता है तो स्क्रीन की इलेक्ट्रोस्टैटिक फील्ड में रुकावट आती है जिसे फोन का प्रोसेसर डिटेक्ट करता है और फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को एक्शन को परफॉर्म करने के लिए निर्देश देता है। Resistive स्क्रीन के मुकाबले यह स्क्रीन ज्यादा रिस्पॉन्सिव है। इसे ज्यादातर हाई-एंड स्मार्टफोन्स में इस्तेमाल किया जाता है।
OLED: यह मोबाइल और मॉनिटर्स में लगने वाली नई तकनीक से लैस डिस्प्ले है। इस डिस्प्ले में ग्लास टॉप प्लेट और ग्लास बॉटम प्लेट के बीच में ऑरगैनिक मैटेरियल की परत दी गई होती है। जब इन दोनों परतों पर इलेक्ट्रिक पल्स लगाई जाती है तो ऑरगैनिक मैटेरियल से इलेक्ट्रो-ल्यूमिनेससेंट लाइट उत्पन्न होती है। इस पर ही स्क्रीन की ब्राइटनेस और कलर निर्भर होते हैं।
AMOLED: यह डिस्प्ले OLED का ही एक प्रकार है। AMOLED में OLED डिस्प्ले की सभी खासियतें जैसे कलर रिप्रोडक्शन, बेहतर बैटरी लाइफ, हाई ब्राइटनेस और शार्पनेस होती हैं। मौजूदा समय में AMOLED डिस्प्ले का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। नोकिय 8 जैसे हाई एंड स्मार्टफोन्स में यह डिस्प्ले दी जा रही है।
Super AMOLED: यह डिस्प्ले AMOLED का ही एडवांस वर्जन है। इसमें टच सेंसर इन बिल्ट होते हैं। मार्किट में मौजूद यह सबसे पतली डिस्प्ले तकनीक है। यह AMOLED डिस्प्ले से कहीं ज्यादा रिस्पॉन्सिव है।
Retina Display: रेटीना डिस्प्ले एक ऐसी टर्म है जो एप्पल ने हाई रेजोल्यूशन (640 x 960) आईपीएस एलसीडी के लिए इस्तेमाल की थी जिसे iPhone4 में इस्तेमाल किया जाता है। इसे रेटीना डिस्प्ले इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके पिक्सल्स को व्यक्ति द्वारा पहचाना नहीं जा सकता है।
Haptic/Tactile touchscreen: इस तरह की स्क्रीन का इस्तेमाल ब्लैकबैरी और नोकिया के टचस्क्रीन स्मार्टफोन्स में किया जाता है। यह डिस्प्ले यूजर के परफॉर्मेंस अनुभव और एक्यूरेसी को बेहतर बनाता है।
Gorilla Glass: यह एक अलग तरह का alkali-aluminosilicate ग्लास शील्ड है जिसे डैमेज रेसिस्टेंस बनाया गया है। यह मोबाइल डिस्प्ले को स्क्रैच, टूटने आदि दिक्कतों से बचाता है। कई फोन निर्माता कंपनियां जैसे मोटोरोला, सैमसंग और नोकिया अपने स्मार्टफोन्स को बेहतर बनाने के लिए Gorilla Glass का इस्तेमाल कर रही हैं।
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