19 साल का लंबा इंतजार... फिर AI ने किया 'कमाल' और भर गई सूनी गोद!
OpenAI के ChatGPT द्वारा मेडिकल सलाह देने पर बैन लगाने के कुछ ही दिन बाद, एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि AI की मदद से एक कपल ने लगभग 20 साल बाद बेबी कंसीव किया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक AI सिस्टम की मदद से दो हेल्दी स्पर्म सेल्स ढूंढे, जिन्हें ट्रेडिशनल तरीके नहीं खोजा नहीं जा सका था और इसी से सफल प्रेग्नेंसी संभव हुई।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने AI से दुर्लभ स्पर्म सेल्स ढूंढे।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। OpenAI द्वारा ChatGPT को मेडिकल सलाह देने से बैन किए जाने के कुछ दिन बाद ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है। बताया गया है कि AI ने लगभग दो दशक से बच्चे पैदा करने में असफल रहे एक कपल को बच्चा कंसीव करने में मदद की है। The Lancet के मुताबिक, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक AI-बेस्ड सिस्टम का इस्तेमाल किया जिसने 2 घंटे में वीर्य (semen) के सैंपल की 25 लाख इमेज स्कैन कर दो हेल्दी स्पर्म सेल्स की पहचान की। जबकि ट्रेडिशनल तरीके इस नतीजे तक नहीं पहुंच पाए थे। बाद में इन्हीं स्पर्म का इस्तेमाल अंडों को फर्टिलाइज करने के लिए किया गया, जिससे सफल प्रेग्नेंसी हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, 39 साल के मेल और उनकी 37 साल की फीमेल पार्टनर ने कई बार IVF साइकिल्स और सर्जिकल एक्सट्रैक्शन करवाए थे, लेकिन हर बार नाकाम रहे। कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के डायरेक्टर Zev Williams ने बताया, 'अक्सर माइक्रोस्कोपिक टेस्ट में बस सेलुलर डिब्रिस का ढेर दिखता है, स्पर्म नजर ही नहीं आता।' ऐसे कई कपल्स को कहा जाता है कि उनके लिए बायोलॉजिकल तरीके से बच्चा होना लगभग असंभव है।
इस समस्या को हल करने के लिए रिसर्चर्स ने स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी (STAR) नाम का एक AI-बेस्ड सिस्टम डेवलप किया। ये एक हाई-स्पीड इमेजिंग और मशीन लर्निंग टेक्नीक है जो उन सैंपल्स में दुर्लभ स्पर्म सेल्स को ढूंढ लेती है जिन्हें पहले स्पर्म-फ्री बताया गया था। ये सिस्टम एक घंटे से भी कम समय में 80 लाख से ज्यादा इमेज स्कैन कर सकता है और बेहद सटीकता से संभावित स्पर्म सेल्स को पहचान लेता है।
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ये AI सिस्टम कैसे काम करता है?
जैसे ही AI किसी हेल्दी स्पर्म सेल की पहचान करता है, छोटे, बाल जैसे चैनलों वाली एक माइक्रोफ्लुइडिक चिप के जरिए उस हिस्से को अलग किया जाता है जिसमें स्पर्म मौजूद होता है। फिर एक रोबोटिक आर्म उस स्पर्म को निकाल लेता है, जिसे तुरंत फर्टिलाइजेशन के लिए या बाद के उपयोग के लिए स्टोर किया जा सकता है। इस केस में STAR ने सात स्पर्म सेल्स की पहचान की, जिनमें से दो एक्टिव (motile) थे। इन्हें मैच्योर एग्स में इंजेक्ट किया गया, जिससे एम्ब्रियो बने और आखिरकार सफल प्रेग्नेंसी हुई।
आठ हफ्ते बाद, मरीज के अल्ट्रासाउंड में नॉर्मल फिटल डेवलपमेंट और हेल्दी हार्टबीट दिखाई दी। वैसे, ये अभी सिर्फ एक सफल केस पर बेस्ड है, लेकिन बड़े क्लिनिकल ट्रायल्स जारी हैं। अगर ये नतीजे कन्फर्म हुए तो STAR तकनीक पुरुषों में azoospermia जैसी समस्या के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और कई कपल्स के लिए उम्मीद की नई किरण साबित हो सकती है।

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