Tech Explained: पटरियों पर तेजी से चलने के बावजूद क्यों नहीं उतरती ट्रेन, जानें पहियों की दिलचस्प इंजीनियरिंग
भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क्स में से एक है। लाखों लोग इसमें रोजाना सफर करते हैं। ट्रेन के पहियों और पटरियों के स्मार्ट डिजाइन और कुछ स्मार्ट इंजीनियरिंग सिद्धांतों से तेज गति पर भी ट्रेनें पटरियों से नहीं उतरतीं। आइए जानते हैं इस टेक्नोलॉजी और फिजिक्स के कमाल के कॉम्बिनेशन के बारे में।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क्स में से एक है। लाखों लोग इसमें रोजाना सफर करते हैं। ट्रेन से कई सौ किलोमीटर की दूरी भी आसानी से कम वक्त में तय हो जाती है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि ट्रेनें तेज गति पर भी पटरियों से क्यों नहीं उतरतीं। इसके पीछे क्या टेक्नोलॉजी है। दरअसल, इसका जवाब ट्रेन के पहियों और पटरियों के स्मार्ट डिजाइन और कुछ स्मार्ट इंजीनियरिंग सिद्धांतों में छिपा है। आइए जानते हैं।
ट्रेन के पहियों का आकार
ट्रेन के पहिए पूरी तरह सपाट नहीं होते। इनका स्पेशल कोनिकल शेप होता है। नजदीक से देखें तो पहिया अंदर की ओर थोड़ा मोटा और बाहर की ओर पतला होता है। ये कोन-जैसा डिजाइन ट्रेन को पटरियों पर केंद्रित रखने में बड़ी भूमिका निभाता है।
जब ट्रेन किसी फोर्स या कर्व की वजह से थोड़ा एक तरफ झुकती है, तो पहिए ऑटोमैटिकली अपने आप को एडजस्ट करते हैं। जो पहिया बाहर की ओर जाता है, वह कोन के मोटे हिस्से पर चढ़ता है, जबकि दूसरा पहिया पतले हिस्से पर नीचे आता है। ऊंचाई का ये अंतर एक नैचुरल स्टीयरिंग इपेक्ट क्रिएट करता है, जो ट्रेन को वापस सेंटर में धकेलता है। ये गुरुत्वाकर्षण और पहियों के आकार के कारण ऑटोमैटिक तरीके से होता है। इसमें किसी इलेक्ट्रॉनिक्स की जरूरत नहीं होती।
अतिरिक्त सुरक्षा के लिए फ्लैंज
कोनिकल शेप के अलावा, ट्रेन के पहियों में एक फ्लैंज होता है- पहिए के अंदर की ओर एक छोटा उभरा हुआ किनारा। ये एक सुरक्षा गार्ड की तरह काम करता है। अगर ट्रेन बहुत ज्यादा एक तरफ खिसकती है, तो फ्लैंज पटरी के अंदर के किनारे से टकराता है, जिससे पहिया पटरी से बाहर नहीं जाता। हालांकि, सामान्य परिस्थितियों में, कोनिकल व्हील ही ट्रेन को स्थिर रखता है और फ्लैंज शायद ही कभी पटरी को छूता है।
पटरियां
ट्रेन की पटरियां मजबूत स्टील रेलों से बनी होती हैं, जो लकड़ी या कंक्रीट के स्लीपर्स के साथ मजबूती से टिकी होती हैं। इन पटरियों को सावधानी से अलाइन किया जाता है ताकि रेलों के बीच सही दूरी (जिसे गेज कहते हैं) बनी रहे, जिससे पहिए पूरी तरह फिट रहें।
बैलेंसिंग फोर्स
ट्रेन का वजन भी इसे पटरी पर बनाए रखने में मदद करता है। ट्रेनें बहुत भारी होती हैं और ये वजन पहियों को पटरियों पर मजबूती से दबाता है, जिससे पटरी से उछलने की संभावना कम हो जाती है।
बॉटम लाइन
स्मार्ट व्हील डिजाइन, फ्लैंज, प्रिसाइज ट्रैक अलाइनमेंट और ट्रेन के भारी वजन के कारण ही ट्रेन तेज गति पर भी सुरक्षित रूप से चल सकती हैं। वो बिना पटरी से उतरे। टेक्नोलॉजी और फिजिक्स का ये सिंपल लेकिन पावरफुल कॉम्बिनेशन हर दिन लाखों ट्रेन यात्राओं को सुरक्षित रखता है। अब अगली बार जब आप ट्रेन देखें, तो पहियों के किनारों पर जरूर ध्यान दें। आप इस शानदार डिजाइन को काम करते हुए देख पाएंगे।
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