वेब एप्लीकेशन क्या है, वेबसाइट से कैसे है अलग, जानिए फायदे और नुकसान
What Is Web Application वेब एप्लीकेशन का इस्तेमाल हर दूसरा इंटरनेट यूजर करता है। हालांकि बहुत कम यूजर्स को वेबसाइट और वेब एप्लीकेशन के बीच अंतर का पता होता है। इस आर्टिकल में वेब एप्लीकेशन के बारे में ही बता रहे हैं। (फोटो- जागरण)

नई दिल्ली, टेक डेस्क। अगर आप एक इंटरनेट यूजर हैं तो कभी न कभी वर्ल्ड वाइड वेब पर आपने वेब एप्लीकेशन का इस्तेमाल जरूर किया होगा। हम वेबसाइट नहीं, वेब एप्लीकेशन की बात कर रहे हैं। वेब एप्लीकेशन टर्म को पहली बार सुन रहे हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए ही लिख रहे हैं।
इंटरनेट का इस्तेमाल तो आजकल हर दूसरा स्मार्टफोन यूजर कर रहा है, लेकिन वेबसाइट और वेब एप्लीकेशन के अंतर को बहुत कम लोग जान पाते हैं, चलिए इस आर्टिकल में वेब एप्लीकेशन के बारे में जानते हैं-
वेब एप्लीकेशन क्या है?
वेब एप्लीकेशन एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है। आसान भाषा में समझें तो यह इंटरनेट पर वेबसाइट के जैसे ही लेकिन वेबसाइट से कई मायनों में अलग एप्लीकेशन होते हैं। इस तरह के सॉफ्टवेयर को किसी एक खास तरह के टास्क को परफोर्म करने के लिए डिजाइन किया जाता है।
वेब एप्लीकेशन पर यूजर को किसी काम की जरूरत पर अपना डेटा एंटर करने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए समझें तो अगर आप किसी इमेज का बैकग्राउंड रिमूव करना चाहते हैं तो इसके लिए ऑनलाइन टूल की मदद लेते हैं।
ऑनलाइन टूल के लिए जैसे ही आप किसी वेब पेज पर पहुंचते हैं, जहां पहले इमेज को टास्क परफोर्म करने के लिए अपलोड करते हैं, बैकग्राउंड रिमूव होने पर आप इसे डाउनलोड कर लेते हैं। असल में यही वेब पेज वेब एप्लीकेशन है।
प्रोग्रेसिव वेब ऐप्स क्या होते हैं?
अब समझते हैं कि प्रोग्रेसिव वेब ऐप्स क्या होते हैं। दरअसर ये वे एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर हैं, जिन्हें एचटीएमएल, सीएसएस, जावास्क्रिप्ट की मदद से तैयार किया जाता है।
ऐसे एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल डेस्कटॉप और मोबाइल डिवाइस पर किया जा सकता है। यूजर के ब्राउजर द्वारा लेटेस्ट वेब फीचर्स सपोर्ट न करने पर भी इन सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे ऐप्स पर ऑफलाइन भी काम किया जा सकता है और नोटिफिकेशन भी पाए जा सकते हैं।
ट्रस्टेड वेब एक्टीविटी क्या है?
वेब ऐप्स से जुड़े कंटेंट को एंड्रॉइड फोन में खोलने पर सिक्योरिटी से जुड़े सवाल यूजर के जेहन में आ सकते हैं। हालांकि, यूजर की इस तरह की दुविधा को ही दूर करने के लिए ट्रस्टेड वेब एक्टीविटी काम में आती है।
ट्रस्टेड वेब एक्टीविटी कस्टम टैब पर बेस्ड प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर एंड्रॉइड ऐप की मदद से वेब ऐप्स के कंटेंट को ओपन करने का सेफ तरीका है। यह सुविधा गूगल क्रोम पर मौजूद है।
वेब एप्लीकेशन वेबसाइट से कैसे है अलग?
अब वेब एप्लीकेशन और वेबसाइट के अंतर को समझने की कोशिश करें तो यह कुछ पॉइन्ट्स की मदद से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। वेबसाइट और वेब एप्लीकेशन में सबसे बड़ा अंतर ही ये है कि वेबसाइट पर यूजर को इन्फोर्मेशन मिलती है। वहीं दूसरी ओर, वेब एप्लीकेशन इन्फोर्मेशन देने नहीं, बल्कि यह इंटरेक्टिव होता है। वेब एप्लीकेशन यूजर की कमांड पर किसी टास्क को पूरा करने का काम करते हैं।
वेबसाइट पर आप डेटा का इनपुट नहीं दे सकते, यानी वेबसाइट वन-वे कम्युनिकेशन बेस्ड होती हैं। वहीं दूसरी ओर, वेब एप्लीकेशन यूजर की कमांड पर ही काम करती हैं। यानी इमेज फाइल को पीडीएफ में बदलना चाहते हैं तो पहले इमेज फाइल अपलोड करने की जरूरत होगी। तभी आप पीडीएफ फॉर्मेट में फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं। वेब एप्लीकेशन टू-वे कम्युनिकेशन बेस्ड होते हैं।
वेबसाइट का कंटेंट स्टैटिक होता है, लेकिन वहीं जब बात वेब एप्लीकेशन की आती है तो यह डायनमिक कंटेंट के साथ आते हैं। वेब एप्लीकेशन के कुछ उदाहरणों में हम गूगल जीमेल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स, यूट्यूब, इमेज एडिटिंग वेबसाइट्स को शामिल कर सकते हैं।
वेब एप्लीकेशन के फायदे क्या हैं?
फायदों की बात करें तो वेब एप्लीकेशन को किसी में डिवाइस में बिना इन्स्टॉल किए इस्तेमाल किया जा सकता है। वेब ऐप्लीकेशन यूजर के डिवाइस के हार्ड डिस्क में स्टोर नहीं होते इसलिए यूजर को डिवाइस में स्टोरेज की परेशानी भी नहीं आती है।
वेब एप्लीकेशन का इस्तेमाल ब्राउजर बेस्ड होता है, यानी कि यूजर किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज, आईओएस, एंड्रॉइड के साथ इनका इस्तेमाल कर सकता है।
वेब एप्लीकेशन डेवलपर को अपडेट जोड़ने में परेशानी नहीं आती, एक ही बार में सर्वर पर वेब एप्लीकेशन को अपडेट किया जाए तो सभी यूजर्स इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
वेब एप्लीकेशन एक आसान यूजर इंटरफेस के साथ आते हैं।
वेब एप्लीकेशन के क्या हैं नुकसान?
वेब एप्लीकेशन का सबसे बड़ा नुकसान ही यह है कि इसका इस्तेमाल बिना इंटरनेट के नहीं किया जा सकता है। वेब एप्लीकेशन का दूसरा बड़ा नुकसान यह है कि डेटा को स्टोर कर नहीं रखा जा सकता, किसी स्थिति में ब्राउजर क्रैश हो जाए तो डेटा को वापिस नहीं पाया जा सकता है।
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