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    Vishing Attack क्या है? Deepfake टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल देख दंग रह जाएंगे आप, ऐसे बरतें सावधानी

    Updated: Wed, 08 May 2024 06:20 PM (IST)

    विशिंग (Vishing) एक तरह का सोशल इंजीनियरिंग अटैक होता है। इस तरह के अटैक में स्कैमर्स अपने शिकार को कॉल करते हैं औऱ फिर उनका भरोसा जीतने के बाद उनकी पर्सनल जानकारियां मांग लेते हैं। यूजर की जानकारियां पाने के लिए स्कैमर मालवेयर से जुड़ा लिंक भी भेज सकते हैं। असल में इस स्कैम को यूजर के बैंक अकाउंट की डिटेल्स को चुराने के लिए अंजाम दिया जाता है।

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    Vishing Attack क्या है, Deepfake टेक्नोलॉजी का हैरान कर देगा इस्तेमाल

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली।  मान लीजिए एक अनजान नंबर से आपके फोन पर घंटी बजती है और आप इस कॉल को उठा लेते हैं।

    अगले ही पल कॉल करने वाला शख्स अपनी पहचान किसी सरकारी विभाग ,पुलिस, बैंक या टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से बताकर करवाता है। यह शख्स आपसे आपकी पर्सनल जानकारियों को लेने की कोशिश करता है।

    आप भी डरे-सहमे सारे सवालों के जवाब आनन-फानन में दे देते हैं। इस बीच आप यह जांचना भी भूल जाएंगे कि यह कॉल असल में किसी ऑफिशियल डिपार्टमेंट से था भी या नहीं।

    कॉल कट होने के कुछ समय बाद आपको जानकारी मिलती है कि आपका बैंक अकाउंट साफ हो चुका है और आप हक्के-बक्के हो जाते हैं कि आखिर यह कैसे हुआ। आखिर में आपको समझ आता है कि आप किसी स्कैम का शिकार हो चुके हैं।

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    विशिंग (Vishing) क्या है

    दरअसल, स्कैम के इस तरीके को ही विशिंग (Vishing) कहा जाता है। विशिंग (Vishing) एक तरह का सोशल इंजीनियरिंग अटैक होता है।

    इस तरह के अटैक में स्कैमर्स अपने शिकार को कॉल करते हैं औऱ फिर उनका भरोसा जीतने के बाद उनकी पर्सनल जानकारियां मांग लेते हैं।

    यूजर की जानकारियां पाने के लिए स्कैमर मालवेयर से जुड़ा लिंक भी भेज सकते हैं।

    असल में इस स्कैम को यूजर के बैंक अकाउंट की डिटेल्स को चुराने के लिए अंजाम दिया जाता है। दरअसल, स्कैमर्स इस ट्रिक का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि किसी भी आम इंसान को इस तरह बहकाना बेहद आसान होता है।

    डीपफेक टेक्नोलॉजी के साथ विशिंग हुआ खतरनाक

    विशिंग अटैक डीपफेक टेक्नोलॉजी (deepfake technology) के साथ और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। एआई के इस दौर में स्कैमर्स वॉइस क्लोनिंग के लिए किसी भी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को आसानी से इस्तेमाल कर लेते हैं।

    डीपफेक टेक्नोलॉजी के साथ विशिंग अटैक को अंजाम-

    स्कैमर की पहली कोशिश रहती है कि किसी तरह एक ईमेल एडरेस के जरिए फिशिंग मेल भेजा जाए या यूजर का फोन नंबर हासिल किया जाए।

    स्कैमर जब यूजर का नंबर पा लेते हैं तो यूजर का विश्वास जीतने के लिए कई बार फेक लोकल एरिया कोड का भी इस्तेमाल करते हैं।

    कॉल पर स्कैमर की कोशिश रहेगी कि वह यूजर को डरा-धमकाकर, लालच देकर या आपके अपनों की आवाज में मदद की गुहार के साथ आपसे अपनी बातें मनवा ले।

    स्कैमर हर तरह से कोशिश करेगा कि यूजर की बैंक डिटेल्स पाई जा सके। इसके लिए यूजर को लिंक भेजा जाएगा, जिस पर उसे बैंक डिटेल्स फिल करने को कहा जा सकता है।

    इसके अलावा, यूजर से काम के कुछ डॉक्यूमेंट्स भी अपलोड करवाए जा सकते हैं।

    जैसे ही स्कैमर को किसी यूजर की बैंकिंग डिटेल्स मिल जाती हैं, वे यूजर का बैंक अकाउंट साफ कर देते हैं।

    ये भी पढ़ेंः Deepfake in Election: डीपफेक वीडियो की कितनी होती है उम्र, चुनाव में क्यों फजीहत बन रही यह तकनीक, शिकार हो जाएं तो क्या करें?

    विशिंग अटैक से कैसे रहें सावधान

    • इस तरह के स्कैम की पहचान की जा सकती है अगर एक अनजान नंबर से कॉल करने वाला शख्स आपसे आपकी पर्सनल और बैंकिंग डिटेल्स का जिक्र करने लगे।
    • इस तरह के अटैक को बेकार ऑडियो क्वालिटी के साथ पहचाना जा सकता है। फोन पर किसी शख्स की आवाज साफ न आना या रोबोटिक लगना भी रेड फ्लैग है।
    • कॉलर आप पर किसी तरह का दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है तो यह विशिंग अटैक हो सकता है।