क्या होता है VPN, क्या हैं इसके फायदे-नुकसान, क्या भारत में इसका यूज है लीगल? जानें सबकुछ
टेक्नोलॉजी फ्रेंडली यूजर्स को VPN के बारे में जानकारी होती है। हालांकि ऐसे काफी इंटरनेट यूजर हैं जो VPN के बारे में नहीं जानते हैं। ऐसे में हम यहां आपको VPNs के बारे में विस्तार से यहां बताने जा रहे हैं। आप यहां VPN इस्तेमाल के फायदे-नुकसान के साथ-साथ ये भी जान पाएंगे कि भारत में इनके लिए कानूनी क्या नियम हैं। आइए जानते हैं।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। अगर आप इंटरनेट यूजर हैं तो आपने अक्सर VPN शब्द कई बार सुना होगा। लेकिन, अगर आप इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं। तो हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि VPN क्या होता है। इसको इस्तेमाल करने के फायदे-नुकसान क्या होते हैं। साथ ही ये भी आपको बताएंगे कि क्या इन्हें भारत में इस्तेमाल करना लीगल है।
क्या होता है VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क)?
VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) एक टेक्नोलॉजी है जो आपके डिवाइस और इंटरनेट के बीच एक एन्क्रिप्टेड टनल बनाकर ऑनलाइन प्राइवेसी और सिक्योरिटी को बढ़ाती है। ये आपके IP एड्रेस को हाइड करता है और एक रिमोट सर्वर के जरिए ट्रैफिक को फिर से रूट करता है, जिससे हैकर्स, ISP (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स) और सरकारी एजेंसियों के लिए आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। VPN का इस्तेमाल आमतौर पर जियो-रेस्ट्रिक्शन्स को बायपास करने, ब्लॉक की गई वेबसाइट्स को एक्सेस करने और पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क पर डेटा को सिक्योर करने के लिए किया जाता है।
क्या VPN को इस्तेमाल करना खतरनाक है?
VPN का इस्तेमाल करना आम तौर पर सेफ है, बशर्ते आप एक ऑथेंटिक प्रोवाइडर को चुनें। हालांकि, इसके कुछ संभावित जोखिम भी हैं:
- अविश्वसनीय VPN का इस्तेमाल करना - फ्री VPN अक्सर यूजर डेटा लॉग करते हैं, विज्ञापन डालते हैं, या थर्ड पार्टी को जानकारी बेचते हैं।
- सच में गुमनाम न होना - VPN प्राइवेसी को बढ़ाते हैं लेकिन आपको पूरी तरह से गुमनाम नहीं बनाते हैं; वेबसाइट अभी भी कुकीज और फिंगरप्रिंटिंग के जरिए आपको ट्रैक कर सकती हैं।
- धीमी इंटरनेट स्पीड - एन्क्रिप्शन और रीरूटिंग के कारण, VPN कनेक्शन स्पीड को कम कर सकते हैं।
- कानूनी परिणाम - सख्त इंटरनेट कानूनों वाले कुछ देशों में, VPN का इस्तेमाल करना नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
VPN इस्तेमाल करने के फायदे
- बढ़ी हुई सिक्योरिटी - ये डेटा एन्क्रिप्ट करता है, यूजर्स को साइबर खतरों से बचाता है।
- प्राइवेसी और गुमनामी - ये ट्रैकर्स और गवर्नमेंट सर्विलांस से IP एड्रेस को छुपाता है।
- जियो-रेस्ट्रिक्शन्स को करता है बायास - रीजन-लॉक्ड कंटेंट जैसे- नेटफ्लिक्स, यूट्यूब, या ब्लॉक की गई वेबसाइट को इसके जरिए एक्सेस किया जा है।
- पब्लिक वाई-फाई का सेफ इस्तेमाल - हैकर्स को ओपन नेटवर्क पर सेंसिटिव डेटा को इंटरसेप्ट करने से रोकता है।
- ISP थ्रॉटलिंग से बचाता है - ये ISP बैंडविड्थ प्रतिबंधों के कारण इंटरनेट स्लोडाउन को रोकता है।
VPN इस्तेमाल करने के नुकसान
- कम इंटरनेट स्पीड - एन्क्रिप्शन अतिरिक्त प्रोसेसिंग एड करता है, जो कनेक्शन को धीमा कर सकता है।
- प्रीमियम VPN की कीमत - विश्वसनीय VPN के लिए आमतौर पर पेड सब्सक्रिप्शन की जरूरत होती है।
- संभावित VPN ब्लॉक - कुछ वेबसाइट और सर्विसेज एक्टिव तरीके से VPN ट्रैफिक को ब्लॉक करती हैं।
- कानूनी मुद्दे - VPN नियम देश के अनुसार अलग-अलग होते हैं, कुछ इसके इस्तेमाल को प्रतिबंधित करते हैं।
क्या VPN भारत में लीगल है?
हां, VPN भारत में लीगल हैं। हालांकि, 2022 के नियमों के मुताबिक, इंडिया में काम करने वाले VPN प्रोवाइडर्स को कम से कम पांच साल तक यूजर लॉग्स स्टोर करने होंगे, जिसमें IP एड्रेस और ब्राउजिंग एक्टिविटीज शामिल हैं। इस नियम के कारण कई मेजर VPN प्रोवाइडर्स ने अपने इंडियन सर्वर बंद कर दिए हैं। गैरकानूनी गतिविधियों जैसे- हैकिंग, धोखाधड़ी के लिए VPN का इस्तेमाल करना अभी भी भारतीय कानून के तहत दंडनीय है।
बॉटम लाइन
एक VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) इंटरनेट कनेक्शन को एन्क्रिप्ट करके और IP एड्रेस को मास्क करके ऑनलाइन एक्टिविटीज को सेफ करता है। VPN प्राइवेसी को बढ़ाते हैं। लेकिन, ये स्पीड को धीमा कर सकते हैं और अविश्वसनीय होने पर सिक्योरिटी जोखिम पैदा कर सकते हैं। भारत में, VPN लीगल हैं, लेकिन प्रोवाइडर्स को पांच साल तक यूजर डेटा लॉग करना होता है।
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