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    VPN ऑन तो टेंशन गॉन... क्यों करना चाहिए इस्तेमाल और किन बातों का रखें ख्याल?

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 08:00 PM (IST)

    वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। यह यूजर की सर्च हिस्ट्री को एन्क्रिप्ट करके दूसरे सर्वर के माध्यम से भेजता है जिससे डेटा हैकर्स से सुरक्षित रहता है। वीपीएन पब्लिक वाई-फाई का उपयोग करने वालों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी डिजिटल पहचान को छिपाने में मदद करता है।

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    क्या हर यूजर्स को ऑनलाइन सेफ्टी के लिए वीपीएन यूज करना चाहिए?

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी VPN के इस्तेमाल से यूजर्स ऑनलाइन एक्टिविटी और अपनी जानकारी हैकर्स से छिपाने के लिए यूज करते हैं। वीपीएन यूजर की सर्च हिस्ट्री को किसी दूसरे सर्वर से भेजकर उनके डेटा और पहचान से जुड़ी डिटेल्स को सिक्योर करता है। यहां हम आपको वीपीएन क्या है और यह कैसे यूजर्स की डिजिटल सेफ्टी को बेहतर करता है। इसके बारे में डिटेल में जानकारी दे रहे हैं।

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    क्या है वीपीएन?

    VPN की फुलफॉर्म वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है। यह इंटरनेट कनेक्शन को सेफ और सिक्यर करता है। यह उन लोगों के लिए जरूरी होता है, जो पब्लिक वाई-फाई का यूज कर रहे होते हैं। वीपीएन की मदद से यूजर्स अपनी ऑनलाइन डिटिटल पहचान को छिपा सकते हैं।

    जब कोई यूजर वीपीएन का यूज करता है, तो यह उसके डिवाइस और इंटरनेट के बीच सीधे लिंक को रोक कर एक ब्रिज के रूप में काम करता है। अक्सर आपने देखा होगा कि आप गूगल पर जो सर्च करते हैं। उससे जुड़े विज्ञापन आपको दिखने लगते हैं। अगर आप वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपकी डिटेल को किसी दूसरे सर्वर पर डायवर्ट करता है, जिससे यूजर की डिटेल्स इंटरनेट पर ट्रेस नहीं होती है। ऐसे में आप सर्च हिस्ट्री से जुड़े विज्ञापन से बच जाएंगे।

    सिर्फ ऑनलाइन एड एजेंसियां ही नहीं, हैकर्स और स्कैमर्स भी इंटरनेट यूजर्स की हिस्ट्री पर नजर रखते हैं। इस डेटा की मदद से वे यूजर्स को अपना शिकार बनाते हैं। इसके साथ ही यूजर्स की पर्सनल जानकारी चुरा सकते हैं। VPN की मदद से यूजर्स अपनी पहचान को इंटरनेट पर सिक्योर कर सकते हैं।

    वीपीएन कैसे काम करते हैं?

    वीपीएन इंटरनेट पर यूजर्स के डेटा को उन सर्वरों के जरिए रूट करता है जो आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) से जुड़े होते हैं। इससे यूजर का आईपी एडरेस जेनरेट होता है। ISP यूजर के IP एडरेस का यूज ऑनलाइन ट्रैकिंग और अपने सर्वर में लॉगइन के लिए करता है। अक्सर आईएसपी यूजर्स की डिटेल्स को अलग-अलग एड एजेंसियों के साथ शेयर करते हैं। इससे प्राइवेसी और यूजर्स की सिक्योरिटी प्रभावित हो सकती है।

    जब कोई यूजर VPN का इस्तेमाल करता है तो वीपीएन यूजर्स के डेटा को होस्ट बन जाता है और थर्ड पार्टी सर्वर से इंटरनेट एक्टिविटी होती हैं। इससे किसी थर्ड पार्टी या आईएसपी को सीधे यूजर्स की डिटेल नहीं मिलती है।

    यूजर के डेटा को वीपीएन एन्क्रिप्टेड कर देता है। हैकर्स की दिलचस्पी भी इस डेटा में कम होती हैं क्योंकि इसे अनएनक्रिप्ट करना और यूजर की पहचान करना थोड़ा जटिल हो जाता है। इस तरह वीपीएन यूजर को डिजिटल सेफ्टी का एक अतिरिक्त लेयर प्रदान करता है।

    VPN यूज करने के बेनिफिट

    • VPN की मदद से यूजर्स अपने वर्चुअल लोकेशन को चेंज कर सकते हैं। और पसंद के कंटेंट को आसानी से स्ट्रीम कर सकते हैं।
    • VPN का यूज कर यूजर्स किसी नेटवर्क या लोकेशन के लिए ब्लॉक की गई वेबसाइट का कंटेंट को एक्सेस कर सकते हैं।
    • अपनी एक्चुअल लोकेशन को हाइड कर यूजर्स सरकार या सुरक्षा एंजेंसियों द्वारा बैन वेबसाइट का प्लेटफॉर्म तक पहुंच सकते हैं।
    • हैकर्स और स्कैमर्स यूजर्स की ऑनलाइन डिटेल्स आईएसपी से चुराते हैं। वीपीएन का यूज कर वे ट्रैकिंग से बच सकते हैं।
    • इंटरनेट पर कोई क्या सर्च कर रहा है यह आईपी एडरेस से पता लगाया जा सकता है। VPN से ऑनलाइन एक्टिविटी छिपा सकते हैं।

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