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    क्यों ठप हो जाती हैं वेबसाइट्स, क्या होती हैं वजहें; यहां समझें

    Updated: Tue, 11 Mar 2025 10:07 AM (IST)

    वेबसाइट्स कई कारणों से क्रैश हो सकती हैं जो अक्सर बिजनेस ऑपरेशन्स को डिसरप्ट करती हैं और यूजर्स को परेशानी में डालती हैं। इसके कुछ आम वजहों में ट्रैफि ...और पढ़ें

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    इन वजहों से क्रैश हो सकती हैं वेबसाइट्स।

     टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। कई बार आपने देखा होगा कि कुछ वेबसाइट्स क्रैश कर जाती हैं। यानी उन्हें ओपन करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों होता है। आइए आपको बताते हैं इस बारे में। वेबसाइट्स कई कारणों से क्रैश हो सकती हैं, जो टेक्निकल इश्यूज़ से लेकर ह्यूमन एरर तक हो सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ संभावित कारणों के बारे में।

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    ट्रैफिक ओवरलोड

    • विजिटर्स में अचानक स्पाइक: अगर वेबसाइट पर यूजर्स की भारी भीड़ आ जाए (जैसे वायरल कंटेंट, प्रोडक्ट लॉन्च, या फ्लैश सेल) तो ये सर्वर कैपेसिटी को पार कर सकती है।
    • इनएडिक्वेट होस्टिंग प्लान: शेयर्ड होस्टिंग यूज करना या रिक्वायर्ड बैंडविड्थ को अंडरएस्टिमेट करना, हेवी लोड में क्रैश का कारण बन सकता है।

    सर्वर इश्यूज

    • सर्वर ओवरलोड: अगर सर्वर का CPU, RAM, या स्टोरेज मैक्स आउट हो जाए, तो साइट अनरेस्पॉन्सिव हो सकती है।
    • सर्वर डाउनटाइम: मेंटेनेंस, हार्डवेयर फेल्यर, या डेटा सेंटर प्रॉब्लम्स से डाउनटाइम हो सकता है।

    सॉफ्टवेयर बग्स और कोड एरर्स

    • कोडिंग एरर्स: फॉल्टी कोड, सिंटैक्स मिस्टेक्स, या इनफिनिट लूप्स फंक्शनैलिटी को तोड़ सकते हैं।
    • प्लगइन/एक्सटेंशन कॉन्फ्लिक्ट्स: इनकम्पैटिबल या आउटडेटेड प्लगइन्स बग्स ला सकते हैं।
    • फेल्ड अपडेट्स: गलत तरीके से अप्लाई किए गए अपडेट्स साइट को अस्थिर कर सकते हैं।

    साइबरअटैक्स

    • DDoS अटैक्स: सर्वर को रिक्वेस्ट्स से फ्लड करने की मैलिशियस प्रैक्टिस इसे डाउन कर सकती है।
    • हैकिंग अटेम्प्ट्स: कोड या थर्ड-पार्टी सर्विसेज में वल्नरेबिलिटीज का फायदा उठाकर वेबसाइट डाउन की जा सकती है।

    डेटाबेस एरर्स

    • करप्टेड डेटाबेस: करप्ट या ओवरलोडेड डेटाबेस कंटेंट को रिट्रीव होने से रोक सकता है।
    • कनेक्शन इश्यूज: अगर वेबसाइट अपने डेटाबेस से कनेक्ट नहीं कर पाती, तो ये लोड नहीं होगी।

    DNS इश्यूज

    • डोमेन कॉन्फिगरेशन एरर्स: गलत कॉन्फिगर किए गए DNS रिकॉर्ड्स ब्राउजर्स को वेबसाइट का एड्रेस रिजॉल्व करने से रोक सकते हैं।
    • प्रॉपगेशन डिले: DNS चेंजेस के बाद प्रॉपगेशन में देरी से टेम्परेरी आउटेज हो सकता है।

    होस्टिंग या CDN फेल्यर्स

    • होस्टिंग प्रोवाइडर पर आउटेज: अगर होस्टिंग प्रोवाइडर को टेक्निकल प्रॉब्लम्स हों, तो आपकी साइट डाउन हो सकती है।
    • CDN फेल्यर: कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क इश्यूज इमेज लोडिंग या परफॉर्मेंस को अफेक्ट कर सकते हैं।

    सिक्योरिटी सर्टिफिकेट प्रॉब्लम्स

    • एक्सपायर्ड SSL सर्टिफिकेट्स: एक्सपायर हो चुका SSL सर्टिफिकेट यूजर्स को साइट एक्सेस करने से ब्लॉक कर सकता है।
    • मिसकॉन्फिगर HTTPS सेटिंग्स: गलत सिक्योरिटी सेटिंग्स ब्राउजर वार्निंग्स ट्रिगर कर सकती हैं।

    रिसोर्स लिमिटेशन्स

    • बैंडविड्थ लिमिट्स: लो-टियर होस्टिंग प्लान्स वाली वेबसाइट्स अपने डेटा ट्रांसफर लिमिट्स को पार कर सकती हैं।
    • मेमोरी लीक्स: अनऑप्टिमाइज्ड कोड जो एक्सेसिव मेमोरी कंज्यूम करता हो, सर्वर को क्रैश कर सकता है।

    ह्यूमन एरर

    • एक्सिडेंटल डिलीशन: गलती से क्रिटिकल फाइल्स या सेटिंग्स डिलीट करने से साइट टूट सकती है।
    • मिसकॉन्फिगरेशन्स: गलत सर्वर सेटिंग्स या डिप्लॉयमेंट इश्यूज डाउनटाइम का कारण बन सकते हैं।

    इन बातों का ध्यान रखें:

    • स्केलेबल होस्टिंग सॉल्यूशन्स यूज करें।
    • रॉबस्ट मॉनिटरिंग टूल्स इम्प्लीमेंट करें।
    • कोड को रेगुलरली अपडेट और टेस्ट करें।
    • डेटा का फ्रिक्वेंटली बैकअप लें।
    • फायरवॉल्स और DDoS प्रोटेक्शन जैसे सिक्योरिटी मेजर्स डिप्लॉय करें।

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