स्मार्टफोन सुन रहा है आपकी पर्सनल बातें, 6 आसान तरीकों से सुरक्षित रखें प्राइवेसी
Smartphone Privacy Tips स्मार्टफोन चलाते हुए कई बार ऐसा होता है कि हमें उन प्रोडक्ट के एड दिखते हैं जिनकी हम बात करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्मार्टफोन हमारी बात सुन रहे हैं। अगर ऐसा है तो इसे आसानी से रोका जा सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको उन सेटिंग के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिनसे आप अपनी प्राइवेसी पुख्ता कर सकते हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। स्मार्टफोन यूजर्स की सबसे बड़ी चिंता प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी (Smartphone Privacy Tips) बनती जा रही है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित होती जा रही है। स्कैमर्स भी एडवांस होते जा रहे हैं। स्मार्टफोन में स्टोर डेटा की यूजर्स की न सिर्फ जासूसी की जा रही बल्कि उनके साथ ठगी को भी अंजाम दिया जा रहा है। कई रिपोर्ट्स में इस बात को लेकर चिंता जाहिर की जा चुकी है कि स्मार्टफोन के कैमरा, माइक्रोफोन और सर्च हिस्ट्री के जरिए यूजर्स की जासूसी की जा सकती है।
कई बार आपने भी यह नोटिस किया होगा कि जिस प्रोडक्ट के बारे में आप बात करते हैं, तो आपको स्मार्टफोन पर उसी के विज्ञापन दिखने लगते हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्मार्टफोन हमारी बात सुन रहा है। अगर ऐसा है तो इसे कैसे रोका जा सकता है। यहां हम आपको इसे रोकने के लिए हमें कौन-सी सेटिंग्स बदलनी हैं। इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।
स्मार्टफोन बातें सुन रहा है या नहीं कैसे पता करें?
कई बार हम स्मार्टफोन में इंस्टॉल ऐप्स को कैमरा, माइक्रोफोन और स्टोरेज का एक्सेस देते हैं। ऐसा करने पर ये ऐप्स हमारी हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम स्मार्टफोन में मौजूद ऐप्स को जरुरी परमिशन ही दें। ऐसे ऐप्स को अनवांटेड एक्सेस देने से बचना चाहिए।
अक्सर फोन जासूसी के लिए कैमरा और माइक का इस्तेमाल करता है। अगर आपके फोन का कैमरा या माइक बिना जरूरत के एक्टिव होता है तो इसका पता आप लगा सकते हैं। जब भी फोन का कैमरा या माइक एक्टिव होता है तो स्क्रीन पर ग्रीन लाइट ब्लिंक होती है।
ऐप परमिशन मैनेज करें
स्मार्टफोन में इंस्टॉल ऐप्स की परमिशन को मैनेज करने के लिए फोन की Settings मैन्यू में जाना होगा। इसके बाद आपको Privacy के अंदर Permission Manager में जाकर ऐप परमिशन को मैनेज करना होगा।
यहां आप देख पाएंगे कि ऐप को माइक्रोफोन, कैमरा और लोकेशन जैसी कौन-कौन सी एक्सेस दी गई हैं। प्राइवेसी को पुख्ता रखने के लिए हमें ऐप्स को सिर्फ जरुरी एक्सेस ही देना चाहिए।
सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी अपडेट करें
स्मार्टफोन कंपनियां अपने डिवाइस के लिए हर महीने या नियमित अंतराल पर सिक्योरिटी अपडेट ऑफर करते हैं। इसके साथ ही फोन में इंस्टॉल ऐप भी समय-समय पर अपडेट करते रहें। फोन को अप-टू-डेट रखने से सिक्योरिटी मजबूत होती है और पोन स्पाइपेयर और मालवेयर से सुरक्षित रहता है।
वॉइस असिस्टेंट को डिसेबल करें
अगर आप अपने फोन में वॉइस असिस्टेंट जैसे Google Assistant, Siri या Alexa का यूज नहीं करते हैं तो इसे बंद ही रखें। वॉइस असिस्टेंट को बंद रखने के लिए सेटिंग में वॉइस असिस्टेंट में जाकर डिसेबल कर दें। इससे फोन का माइक्रोफोन तभी चालू होगा जब जरूरत होगी।
पब्लिक Wi-Fi से बचें
पब्लिक वाई-फाई अनसिक्योर होते हैं। ऐसे में डेटा यूज के लिए फ्री वाई-फाई से बचें। इससे आपका डेटा चोरी होने के साथ हैकिंग का भी खतरा रहता है। अगर आपको मजबूरी में पब्लिक Wi-Fi का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, तो VPN जरुर ऑन करें।
थर्ड-पार्टी ऐप्स डाउनलोड न करें
स्मार्टफोन में सिर्फ Google Play Store या Apple App Store से ही ऐप इंस्टॉल करें। इसके साथ ही थर्ड पार्टी ऐप स्टोर से ऐप इंस्टॉल करने से बचना चाहिए।
फोन को समय-समय पर रीबूट करें
स्मार्टफोन को हफ्ते में एक बार रीस्टार्ट जरूर करें। इससे अगर फोन में कोई स्पाइवेयर या मालवेयर एक्टिव हुआ तो वह काम करना बंद कर देगा। इसके साथ ही ऐप्स की बैकग्राउंड प्रोसेसिंग भी बंद हो जाती है।
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