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    UPI ट्रांजैक्शन करना होगा और आसान: बिना पिन के होंगे पेमेंट, स्टेप्स में जानें कैसे

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 10:40 AM (IST)

    नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के लिए ऑन-डिवाइस बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन फीचर पेश किया है। UPI यूजर्स फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन से सीधे पेमेंट कर सकेंगे UPI पिन की जरूरत नहीं होगी। यह नया फीचर स्मार्टफोन के इनबिल्ट सिक्योरिटी सिस्टम का इस्तेमाल करेगा। NPCI के अनुसार यह सुविधा वैकल्पिक है जिससे पिन डालकर भी पेमेंट किया जा सकता है।

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    UPI ट्रांजैक्शन करना होगा और आसान: बिना पिन के होंगे पेमेंट, स्टेप्स में जानें कैसे

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। ऐसा लग रहा है कि जल्द ही डिजिटल पेमेंट सिस्टम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। जी हां, क्योंकि नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के लिए ऑन-डिवाइस बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन फीचर पेश किया है। इसका इस्तेमाल करके अब यूजर्स अपने फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन से सीधे पेमेंट कर सकेंगे। आसान शब्दों में कहें तो अब हर बार आपको UPI PIN डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। चलिए जानते हैं कैसे यह नया फीचर काम करेगा...

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    कैसे काम करेगा ये नया फीचर

    दरअसल ये नया फीचर स्मार्टफोन के इनबिल्ट सिक्योरिटी सिस्टम का यूज कर सकता है। यानी अगर आपके फोन में पहले से फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन की सुविधा मिलती है, तो आप इसे UPI पेमेंट के लिए भी यूज कर पाएंगे।

    • सबसे पहले इसके लिए आपको UPI ऐप में जाकर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन ऑप्शन को एक्टिवेट (Opt-in) करना होगा।
    • अब जब आप किसी को पेमेंट करेंगे, ऐप आपको फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन से ट्रांजैक्शन कन्फर्म करने का ऑप्शन भी शो करेगा।
    • इससे हर एक पेमेंट को बैंक की ओर से क्रिप्टोग्राफिक तरीके से वेरिफाई किया जाएगा, ताकि सेफ्टी बनी रहे।

    यूजर्स को मिलेगा पूरा कंट्रोल

    NPCI का कहना है कि यह सुविधा पूरी तरह ऑप्शनल होने वाली है, यानी अगर कोई यूजर चाहे तो PIN डालकर भी पेमेंट करना जारी रख सकता है या फिंगरप्रिंट/फेस रिकग्निशन से पेमेंट करने का ऑप्शन भी सेट कर सकता है। यह फीचर पेमेंट को न सिर्फ फास्ट बना देगा बल्कि ज्यादा आसान भी बना देगा।

    बनी रहेगी यूजर की प्राइवेसी

    इस नए फीचर से हर ट्रांजैक्शन डिवाइस-लेवल सिक्योरिटी और बैंक वेरिफिकेशन से होकर गुजरेगी। इसका मतलब है कि बायोमेट्रिक डेटा मोबाइल से बाहर नहीं जाता, जिससे यूजर की प्राइवेसी बनी रहेगी। यह फीचर उन लोगों के लिए काफी यूजफुल रहेगा, जिन्हें बार-बार पिन डालने में परेशानी होती है।

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