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    Operation Mahadev: कैसे चीनी मोबाइल बना पहलगाम के आतंकियों का 'काल'?

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 03:17 PM (IST)

    श्रीनगर में सेना के पैरा कमांडो दस्ते ने लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन आतंकवादियों को मार गिराया जिनमें पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान भी शामिल था। ऑपरेशन महादेव के तहत हुई इस मुठभेड़ में मारे गए आतंकी विदेशी नागरिक थे। इनकी लोकेशन एक चीनी मोबाइल के जरिए ट्रेस की गई जिससे सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों के मूवमेंट की जानकारी मिली।

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    Operation Mahadev: कैसे चीनी मोबाइल बना पहलगाम के आतंकियों का 'काल'?

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार को श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक मुठभेड़ के दौरान सेना के पैरा कमांडो दस्ते ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े तीन आतंकवादियों को मार गिराया है। इन आतंकियों में सुलेमान उर्फ आसिफ भी शामिल था, जिसे 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। बता दें कि इस अटैक में कुल 26 लोगों की जान चली गई थी।

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    बाकी के दो आतंकियों की पहचान यासिर और अबू हमजा के तौर पर हुई है। जानकारी के मुताबिक ये तीनों विदेशी नागरिक थे और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। बीते दिन श्रीनगर के दाचीगाम जंगल इलाके में सेना के साथ आतंकियों की मुठभेड़ हुई थी, जहां आतंकी एक सीक्रेट ठिकाने में छिपे हुए थे। सेना की ओर से इसे 'ऑपरेशन महादेव' नाम दिया गया।

    कैसे चीनी मोबाइल बना आतंकियों का 'काल'?

    इस सफल ऑपरेशन के पीछे एक खास कड़ी जुडी हुई है। दरअसल, एक चीनी मोबाइल से इन आतंकियों की लोकेशन ट्रेस की जा सकी। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि 11 जुलाई को बैसरन इलाके में एक चीनी सैटेलाइट मोबाइल मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट किया गया। जिसके बाद इसी कड़ी में एक एन्क्रिप्टेड चीनी रेडियो कम्युनिकेशन डिवाइस 'अल्ट्रा सेट' के एक्टिव होने की खबर मिली।

    आर्मी के लिए डिजाइन किए गए थे डिवाइस

    रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादी अल्ट्रा सेट नाम का एक हाई-एंड चीनी कम्युनिकेशन डिवाइस का यूज कर रहे थे। यह मोबाइल खास तौर पर पाकिस्तानी आर्मी के लिए डिजाइन किए गए थे। ये डिवाइस रेगुलर GSM या CDMA नेटवर्क पर डिपेंड नहीं होते, बल्कि रेडियो वेव्स के जरिए कंट्रोल सेंटर्स से जुड़े होते हैं।

    खास कंट्रोल सेंटर से जुड़ा होता हैं डिवाइस

    अल्ट्रा सेट एक-दूसरे से डायरेक्ट कॉन्टैक्ट भी नहीं कर सकते और हर डिवाइस एक खास कंट्रोल सेंटर से जुड़ा होता है। इसी से सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों के मूवमेंट और लोकेशन की जानकारी मिली। यानी ये चीनी मोबाइल ही आतंकियों का 'काल' बन गए।

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