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    भारत के लिए क्यों जरूरी हैं एनर्जी एफीशिएंट एसी, तेजी से बढ़ रही है डिमांड

    भारत अगले 10 वर्षों में रूम एसी की एनर्जी एफीशिएंट (कम ऊर्जी खपत वाले) दोगुना करके गंभीर बिजली की कमी से बच सकता है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं के करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये (यूएसडी 26 बिलियन) तक बचा सकते हैं। इसके साथ ही 2035 तक देश की अधिकतम बिजली की मांग 180 गीगावाट (जीडब्ल्यू) से अधिक बढ़ सकती है।

    By Agency Edited By: Subhash Gariya Updated: Thu, 27 Mar 2025 10:47 AM (IST)
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    एनर्जी एफीशिएंट एसी के इस्तेमाल से बच सकते हैं 2.2 लाख करोड़ रुपये

    पीटीआई, नई दिल्ली। गर्मी बढ़ने के साथ देश में नए एयर कंडीशनर (एसी) की मांग लगातार बढ़ रही है। देश में अगले दशक में 13-15 करोड़ नए एसी जुड़ने की उम्मीद है, जिससे 2035 तक देश की अधिकतम बिजली की मांग 180 गीगावाट (जीडब्ल्यू) से अधिक बढ़ सकती है, जिससे बिजली व्यवस्था पर दबाव पड़ेगा। यह जानकारी एक रिसर्च में सामने आई है।

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    एनर्जी एफीशिएंट एसी की होगी जरूरत

    बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसी) में भारत ऊर्जा और जलवायु केंद्र (आइइइसी) द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया कि सबसे तेजी से विकसित हो रही प्रमुख अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में रूम एसी की एनर्जी एफीशिएंट (कम ऊर्जी खपत वाले) दोगुना करके गंभीर बिजली की कमी से बच सकती है और उपभोक्ताओं के करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये (यूएसडी 26 बिलियन) तक बचा सकते हैं।

    देश में सलाना 1-1.5 करोड़ नए एसी जोड़ता है और अगले दशक में 13-15 करोड़ और जोड़े जाने की उम्मीद है। अध्ययन में कहा गया है कि नीतिगत हस्तक्षेप के बिना अकेले एसी 2030 तक 120 गीगावाट और 2035 तक 180 गीगावाट बिजली की अधिकतम मांग को बढ़ा सकते हैं, जो अनुमानित कुल मांग का लगभग 30 प्रतिशत हो सकता है। अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूसी बर्कले के संकाय निकित अभ्यंकर ने कहा, इससे 2026 की शुरुआत में गंभीर बिजली की कमी हो सकती है।

    बिजली की बढ़ेगी मांग

    उन्होंने कहा, एसी की अधिकतम मांग के कारण बिजली की मांग बढ़ रही है। देश में इस साल की गर्मी में अधिकतम बिजली की मांग में नौ से 10 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है, जबकि देश में गर्मी की लहरें अधिक पड़ने की उम्मीद है। पिछले साल अखिल भारतीय अधिकतम बिजली की मांग 30 मई को 250 गीगावाट को पार कर गई थी, जो अनुमानों से 6.3 प्रतिशत अधिक थी। जलवायु परिवर्तन से प्रेरित गर्मी का तनाव बिजली की मांग को बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में से एक है।

    भारत की कुल बिजली खपत में घरेलू क्षेत्र की हिस्सेदारी 2012-13 में 22 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 25 प्रतिशत हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक विकास और बढ़ते तापमान के कारण शीतलन की बढ़ती जरूरत के कारण है। गर्मियों में रिकार्ड तोड़ तापमान के बीच कमरे के एयर कंडीशनर की बिक्री में साल-दर-साल 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

    भारत में होगी सबसे ज्यादा डिमांड

    आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में आक्सफोर्ड इंडिया सेंटर फार सस्टेनेबल डेवलपमेंट में चल रहे एक शोध के अनुसार, कुल आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा शीतलन की मांग भारत से आएगी। इसके बाद चीन, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ब्राज़ील, फिलीपींस और अमेरिका का स्थान आएगा, जो कि पूर्व औद्योगिक समय की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म होगा।

    कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन में भारत के न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानकों (एमइपीएस) को अपडेट करने की सिफारिश की गई है, जिसकी शुरुआत 2027 के संशोधन से होगी, जो 1-स्टार लेबल को आइएसइइआर 5.0 तक बढ़ाएगा जोकि आज के पांच स्टार के स्तर के बराबर है और हर तीन साल में मानकों को कड़ा किया जाएगा।

    इससे अकेले ही 2028 तक 10 गीगावाट, 2030 तक 23 गीगावाट और 2035 तक 60 गीगावाट की कमी से बचा जा सकता है, जो 120 बड़े बिजली संयंत्रों के बराबर है। अभ्यंकर ने कहा, यह केवल दीर्घकालिक ऊर्जा बचत के बारे में नहीं है। यह तत्काल ग्रिड की विश्वसनीयता का समाधान है।

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