WhatsApp को NPCI से मिला न्यू ईयर गिफ्ट, अब सभी यूजर्स का मिलेगा इस सर्विस का फायदा
NPCI ने WhatsApp Pay से यूजर कैप को हटा दिया है जिससे प्लेटफॉर्म को अपने सभी 500 मिलियन यूजर्स को यूपीआई पर लाने की अनुमति मिल गई है। WhatsApp Pay अब अपनी सर्विसेज का विस्तार पूरी तरह से कर सकता है। इस कदम से वॉट्सऐप पे को यूपीआई बाजार में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने में मदद मिलेगी जहां यह गूगल पे और फोनपे से पीछे कंपनी पीछे है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने WhatsApp Pay से यूजर्स कैप को हटा दिया है। इस कदम से अब पॉपुलर मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को अपने 500 मिलियन से ज्यादा के पूरे यूजर बेस को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) पर लाने की अनुमति मिल गई है। इस फैसले को जारी एक रिलीज में, NPCI ने कहा कि WhatsApp Pay पर 100 मिलियन यूजर्स की लिमिट हटा दी गई है।
ये फैसला 2020 में लॉन्च होने के बाद से WhatsApp Pay प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दिए जाने के बाद लिया गया है। शुरुआत में इसकी सीमा एक मिलियन यूजर्स तक सीमित थी। फिर 2022 में सीमा बढ़ाकर 100 मिलियन कर दी गई और अब इसे पूरी तरह से हटा दिया गया है।
पढ़ें NPCI का नोटिफिकेशन
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने तत्काल प्रभाव से WhatsApp Pay (थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर) के लिए UPI यूजर ऑनबोर्डिंग सीमा हटा दी है। इस डेवलपमेंट के साथ, WhatsApp Pay अब भारत में अपने पूरे यूजर बेस तक UPI सर्विसेज को एक्सटेंड कर सकता है।
इससे पहले, NPCIने WhatsApp Pay को चरणबद्ध तरीके से अपने यूपीआई यूजर बेस का विस्तार करने की अनुमति दी थी। इस नोटिफिकेशन के साथ, NPCI WhatsApp Pay पर यूजर ऑनबोर्डिंग पर सीमा प्रतिबंध हटा रहा है। WhatsApp Pay मौजूदा TPAP पर लागू सभी मौजूदा यूपीआई दिशा-निर्देशों पालन करना जारी रखेगा।
WhatsApp Pay ने प्रतिस्पर्धी UPI बाजार में अपनी पकड़ बनाने के लिए संघर्ष किया है। नवंबर में 51 मिलियन ट्रांजैक्शन हुए, जबकि गूगल पे और फोनपे के कंबाइंड 12 बिलियन ट्रांजैक्शन हुए थे। वहीं, नवंबर 2023 में, वॉट्सऐप पे ने लगभग 22 मिलियन ट्रांजैक्शन्स को प्रोसेस किया था।
इस बीच, NPCI ने लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट मेथड के लिए मार्केट शेयर कैप के इंप्लिमेंटेशन को दो साल के लिए टाल दिया है। इस कदम से गूगल पे और फोनपे को फायदा होगा। एनपीसीआई के मुताबिक, यह आदेश, जो 2024 के अंत से प्रभावी होना था, अब दिसंबर 2026 के अंत में लागू होगा। नवंबर 2020 में किए गए पहले प्रस्ताव के अनुसार, डिजिटल पेमेंट फर्मों को UPI के जरिए प्रोसेस किए गए ट्रांजैक्शन की मात्रा का 30% से ज्यादा हिस्सा रखने की अनुमति नहीं है।
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