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    Shivling Vastu tips: घर में शिवलिंग रखने से पहले जरूर जान लें वास्तु के ये नियम, कभी नहीं आएंगे दुख

    Updated: Mon, 10 Feb 2025 12:45 PM (IST)

    शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ है - अनंत यानी जिसकी कोई शुरुआत और अंत नहीं है। शिवलिंग (Shivling puja) भगवान शिव और माता पार्वती के आदि-अनादि एकल रुप है। कई लोग घर पर भी शिवलिंग विराजमान करते हैं और उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु के अनुसार घर में शिवलिंग रखने के नियम।

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    Shivling Vastu tips शिवलिंग से जुड़े वास्तु नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से महादेव प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। मंदिर में जातक जल चढ़ाने के साथ-साथ आपको घर में शिवलिंग विराजमान करने के भी काफी लाभ मिल सकते हैं। बस इसके लिए आपको कुछ वास्तु नियमों का ध्यान रखने की जरूरत है।

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    शिवलिंग की सही दिशा

    घर के मंदिर में शिवलिंग रखना काफी शुभ माना जाता है। इसकी नियमित रूप से पूजा-अर्चना करनी चाहिए और जल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग को स्थापित करने के लिए वास्तु शास्त्र में उत्तर व ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को सबसे उत्तम माना गया है। इससे साधक के घर-परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है।

    (Picture Credit: Freepik)

    ध्यान रखें जरूरी नियम

    घर में हमेशा अंगूठे के आकार जिनता शिवलिंग रखना चाहिए। इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि घर में एक से ज्यादा शिवलिंग न हों। वरना आपको इसका पूर्ण लाभ नहीं मिलता। इसी के साथ कभी भी शिवलिंग को सीधा जमीन पर न रखें, इसे किसी चौकी पर रखना चाहिए। इसी के साथ शिवलिंग को कभी अपने बेडरूम में नहीं रखना चाहिए, वरना आपको इसके अच्छे परिणाम नहीं मिलते।

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    खंडित शिवलिंग का क्या करें?

    घर में भूलकर भी खंडित शिवलिंग नहीं रखना चाहिए, वरना आपको इसके सकारात्मक परिणाम की जगह नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। अगर आपके घर में खंडित शिवलिंग है, तो इसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हुए किसी बहते हुए साफ जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। इससे आप बुरे परिणामों से बच सकते हैं। घर में एक से अधिक शिवलिंग होने पर भी आप उसे नदी या जल में प्रवाहित कर सकते हैं।

    इस तरह करें पूजा

    शुद्ध जल में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें, इसके बाद अशोक सुंदरी पर जल अर्पित करें। अब शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाए। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, शहद आदि अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भोग अर्पित करें और दूसरों में भी प्रसाद बांटें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।