Vastu Tips: घी या तेल का दीपक बदल सकता है आपकी किस्मत, बस इन चीजों का रखें ख्याल
Vastu Tips हिंदू धर्म के अनुसार देवी-देवता की पूजा करते समय दीपक जरूर जलाना चाहिए। इसके बिना पूजा पूर्ण नहीं होती है। लेकिन कब घी का और कब तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसके बारे में इस लेख में जानिए।

नई दिल्ली, Vastu Tips: घर के मंदिर में रोज सुबह-शाम दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वेद शास्त्रों में देवी-देवता के सामने घी या तेल का दीपक जलाने के विभिन्न लाभ बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होने के साथ पॉजिटिव एनर्जी बढ़ जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष समाप्त हो जाता है। शिव पुराण के अनुसार, घर में घी का दीपक जलाने से सुख-समृद्धि आती है। वास्तु के हिसाब से घी का दीपक अधिकतर लोग जलाते हैं। लेकिन सरसों, तिल, चमेली आदि चीजों के तेल का दीपक किसी विशेष कारण पर जलाया जाता है। जानिए घी या तेल कौन सा दीपक जलाना है सबसे शुभ।
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दीपक जलाने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा
वास्तु के हिसाब से नियमित रूप से दीपक जलाने से घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। इसके साथ ही घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवताओं को दीपक की रोशनी विशेष प्रिय है। इसलिए पूजा करते समय दीपक जलाना शुभ है।
इस दिशा में रखें दीपक
मान्यताओं के अनुसार, पूजा में घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए। इसके अलावा तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए। दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि किसी कारणवश दीपक बीच में बंद न हो।
घी और तेल के दीपक में अंतर
मान्यताओं के अनुसार, घी के दीपक का इस्तेमाल देवी-देवताओं को समर्पित है, जबकि तेल का दीपक किसी मनोकामना की पूर्ति या फिर दोष को खत्म करने के लिए किया जाता है।
कब-कब जलाएं तेल का दीपक
- अगर देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो घी का दीपक जलाएं। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- शनि दोष, साढ़े साती और ढैय्या से निजात पाने के लिए सरसों या फिर तिल के तेल का दीपक जलाना शुभ होगा।
- पवन पुत्र हनुमान को प्रसन्न करना चाहते हैं तो चमेली के तेल का दीपक जलाना शुभ होगा। हमेशा तीन कोनों वाला दीपक जलाएं।
- सूर्यदेव के अलावा काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए भी सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है।
- कुंडली में राहु और केतु को शांत रखने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना शुभ होगा।
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