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    Tulsidas Jayanti 2023: जानें, क्यों तुलसीदास को अपनी पत्नी से हुई विरक्ति और और किस रूप में मिले हनुमान जी?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 23 Aug 2023 12:33 PM (IST)

    Tulsidas Jayanti 2023 इतिहासकारों की मानें तो गुरु नृसिंह चौधरी से तुलसीदास को रामायण की शिक्षा मिली। वहीं गुरु हरिहरानंद से संगीत में महारत हासिल की। उन्हीं दिनों गोस्वामी तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुई। कुछ वर्ष पश्चात तुलसीदास को पुत्र रत्न की भी प्राप्ति हुई। हालांकि कालचक्र को कुछ और मंजूर था। इसके लिए तुलसीदास के पुत्र काल कवलित हो गए। उनका नाम तारक था।

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    Tulsidas Jayanti 2023: जानें, क्यों तुलसीदास को अपनी पत्नी से हुई विरक्ति और और किस रूप में मिले हनुमान जी?

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Tulsidas Jayanti 2023: आज तुलसीदास जयंती है। महान कवि और राम के परम भक्त तुलसीदास का जन्म सावन महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन 1511 ईं. में हुआ था। रामचरितमानस और हनुमान चालीसा उनकी प्रमुख रचनाएं हैं। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य रचनाएं भी की हैं। इनमें विनय-पत्रिका उनकी अंतिम रचना है। धार्मिक मत है कि विनय-पत्रिका पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के हस्ताक्षर हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि राम भक्त तुलसीदास को अपनी पत्नी से कैसे विरक्ति हुई ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    पत्नी से हुई विरक्ति

    इतिहासकारों की मानें तो गुरु नृसिंह चौधरी से तुलसीदास को रामायण की शिक्षा मिली। वहीं, गुरु हरिहरानंद से संगीत में महारत हासिल की। उन्हीं दिनों गोस्वामी तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुई। कुछ वर्ष पश्चात तुलसीदास को पुत्र रत्न की भी प्राप्ति हुई। हालांकि, कालचक्र को कुछ और मंजूर था। इसके लिए तुलसीदास के पुत्र काल कवलित हो गए। उनका नाम तारक था। इससे अपूर्ण क्षति से तुलसीदास और रत्नावली टूट गए। इसी दौरान रत्नावली अपने मायके चली गईं। उस समय तुलसीदास पत्नी के वियोग को सहन नहीं कर पाए। एक रात तुलसीदास के मन में पत्नी से मिलने की उत्सुकता बढ़ गई। उस समय उन्होंने सभी प्रकार के लोक लज्जा को ताक पर रख देर रात गंगा पार कर बदरिया रत्नावली के मायके जा पहुंचे। देर रात तुलसीदास को ससुराल में देख रत्नावली आश्चर्यचकित हो गईं। उस समय रत्नावली ने उन्हें बहुत कोसा। साथ ही उन्हें अन्य कार्यों में मन लगाने की सलाह दी। रत्नावली के मुख से यह वचन सुनकर तुलसीदास अंदर से बेहद टूट गए। कहते हैं कि तत्क्षण तुलसीदास को अपनी पत्नी से विरक्ति हो गई। इसके पश्चात, तुलसीदास सदा के लिए सन्यासी बन गए।

    कैसे हुई हनुमान जी से भेंट ?

    धर्मपत्नी रत्नावली से विरक्ति के बाद गोस्वामी तुलसीदास कुछ दिनों तक राजापुर में रहकर काशी चले गए। इस दौरान तुलसीदास लोगों को राम कथा सुनाते थे। सनातन धर्म ग्रंथों में निहित है कि राम कथा और राम संवाद होने वाली जगहों पर हनुमान जी अवश्य आते हैं। अत: एक दिन राम कथा सुनाने के दौरान उनकी मुलाकात एक असाधारण मनुष्य से हुई। तुलसीदास तत्क्षण समझ गए कि वह सामान्य मनुष्य नहीं है, बल्कि कोई अदृश्य शक्ति है। उस अदृश्य शक्ति ने तुलसीदास को हनुमान जी से मिलने का स्थान बताया। कालांतर में प्रेत द्वारा बताए गए स्थान पर तुलसीदास की भेंट हनुमान जी से हुई। उस समय तुलसीदास भाव विभोर हो गए। हनुमान जी से मिलने के बाद तुलसीदास ने भगवान राम से मिलने की प्रार्थना की। यह सुन हनुमान जी बोले-आप चित्रकूट जाएं। भगवान राम आपको चित्रकूट में ही दर्शन देंगे।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।