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Swami Vivekananda Jayanti: युवाओं को जीने की राह दिखाते हैं स्वामी विवेकानंद जी के ये अनमोल विचार

Swami Vivekananda Jayanti इनके पिता विश्वनाथ दत्त पेशे से वकील थे और स्वामी जी को भी इंग्लिश मैन बनाना चाहते थे। हालांकि माता भुवनेश्वरी देवी सनातन धर्म की संस्कारी अनुयायी थी। अतः स्वामी जी पर उनकी माता जी का प्रभाव अधिक पड़ा।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 01:32 PM (IST)
Swami Vivekananda Jayanti: युवाओं को जीने की राह दिखाते हैं स्वामी विवेकानंद जी के ये अनमोल विचार
Swami Vivekananda Jayanti: युवाओं को जीने की राह दिखाते हैं स्वामी विवेकानंद जी के ये अनमोल विचार

Swami Vivekananda Jayanti: आज स्वामी विवेकानंद जयंती है। युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई में तत्कालीन कलकत्ता में हुआ था। इनके पिता विश्वनाथ दत्त पेशे से वकील थे और स्वामी जी को भी इंग्लिश मैन बनाना चाहते थे। हालांकि, माता भुवनेश्वरी देवी सनातन धर्म की संस्कारी अनुयायी थी। अतः स्वामी जी पर उनकी माता जी का प्रभाव अधिक पड़ा। मां की कृपा और आशीर्वाद से स्वामी जी की बाल्यावस्था से ही ईश्वर से स्नेह और लगाव था। आगे चलकर गुरु परमहंस महाराज के वचनों और पदचिन्हों पर चलकर स्वामी जी ने सनातनधर्म का प्रचार-प्रसार किया। साथ ही मानव सेवा की। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। खासकर युवाओं को जीने की राह दिखाते हैं। आइए, स्वामी जी के अनमोल विचार जानते हैं-

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1.

पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक है, लेकिन इन सबसे ऊपर प्यार है।

2.

मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।

3.

तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा आध्यात्मिक गुरु नहीं है।

4.

किसी की निंदा ना करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िए, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिए, और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिए।

5.

संसार में सबसे बड़ा पाप दुर्बलता है। हमें हर प्रकार की कमजोरी या दुर्बलता को दूर करना चाहिए। दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु के समान है।

6.

बार बार परमेश्वर का नाम लेने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। जो व्यक्ति सत्यकर्म करता है वही धार्मिक है।

7.

जब आप व्यस्त होते हैं तो सब कुछ आसान सा लगता है परन्तु आलसी होने पर कुछ भी आसान नहीं लगता है।

8.

अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।

9.

अपने हालातों की वजह से अपने सपनों को नहीं बदलना चाहिए। बल्कि अपने सपनों के हिसाब से अपने हालातों को बदलना चाहिए।

10.

जरूरत से ज्यादा आराम और औकात से ज्यादा प्यार इंसान को अपाहिज बना देता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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