स्वामी प्रभुपादजी
स्वामी प्रभुपाद कृष्ण चेतना के लिए इंटरनेशनल सोसायटी इस्कॉन के संस्थापक थे। वे सितंबर, 1896 को कोलकाता में पैदा हुए थे। शहर के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में अपनी शिक्षा प्राप्त की।
स्वामी प्रभुपाद कृष्ण चेतना के लिए इंटरनेशनल सोसायटी इस्कॉन के संस्थापक थे। वे सितंबर, 1896 को कोलकाता में पैदा हुए थे। शहर के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में अपनी शिक्षा प्राप्त की।
प्रभुपाद के असली नाम अभय चरण था इससे पहले कि वह कृष्ण भक्त श्रील सरस्वती गोस्वामी महाराज जो 20 वीं सदी की शुरुआत में थे के शिष्य बन गए। 1965 में न्यूयॉर्क में इस्कॉन की स्थापना की। बारह वषरें में, प्रभुपाद छह महाद्वीपों भर में बड़े पैमाने पर कूच के क्रम में कृष्ण के प्रेम और शांति के संदेश का प्रसार किया।
स्वामी जी वेदान्त को अधिक महत्व देते थे। अभय चरन डे जो बाद में अपने भक्तों के लिए स्वामी प्रभुपाद बन गये, का जन्म एक वैष्णव परिवार में हुआ। युवास्था से इनकी राधा-कृष्ण में गहरी आस्था थी। 26 वर्ष की आयु में यह श्रीला भक्ति सिद्धांत गोस्वामी महाराज के शिष्य बन गये। जो कि गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय से संबंधित थे। इस संप्रदाय स्वंय को भगवान कृष्ण की मूल उत्पत्ति मानते थे।
50 साल की आयु में इन्होंने सांसारिक जीवन त्याग दिया और अपना सारा समय भारत में एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्राएं करते हुए, भगवान कृष्ण के उपदेशों व संदेशों को फैलाने में लगाया।
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