Shri Shri Ravi Shankar Quotes: रिलेशनशिप को रखना है स्ट्रांग, तो इन 4 बातों को बांध लें गांठ
Shri Shri Ravi Shankar Quotes आज की भागती दौड़ती लाइफ में हर कोई चाहता है कि उसका रिलेशन हमेशा मजबूत रहें। लेकिन कई बार ये संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता योग गुरु श्री श्री रविशंकर ने बताया कि कैसे बनाएं मजबूत संबंध।

नई दिल्ली, Shri Shri Ravi Shankar Quotes: किसी संबंध का आरंभ आकर्षण से होता है। यदि आप आसानी से उसे प्राप्त कर लेते हैं, तो आकर्षण समाप्त हो जाता है। किंतु यदि प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है तो उसके प्रति प्रेम का जन्म होता है। जब आप प्रेम का अनुभव करते हैं तो कुछ समय के पश्चात मांग उठती है। जब आप मांगना शुरू करते हैं, तो प्रेम घट जाता है। मांग प्रेम को नष्ट कर देती है। आनंद दूर हो जाता है, तो आप कहते हैं, 'ओह, मैंने यह संबंध बनाकर भूल की है।' फिर उससे बाहर निकलने के लिए संघर्ष और पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इससे बाहर निकलने के बाद आप एक अन्य संबंध बनाते हैं, और वही कहानी दोहराई जाती है।
किसी भी संबंध को बनाए रखने में तीन बातें आवश्यक हैं : समुचित धारणा, समुचित अवलोकन और समुचित अभिव्यक्ति। अक्सर लोग कहते हैं कि कोई भी उन्हें नहीं समझता है। कोई भी मुझे नहीं समझता है, ऐसा कहने के बजाय आप कह सकते हैं कि मैं स्वयं को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाता हूं। यदि आप एक स्पेनिश व्यक्ति से रूसी भाषा बोलते हैं, तो वह निश्चित रूप से नहीं समझेगा। सही धारणा तब हो सकती है, जब आप स्वयं को दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण से देखते हैं। सही धारणा, फिर सही अवलोकन। आपकी धारणा समुचित हो सकती है, लेकिन आप प्रतिक्रिया किस प्रकार देते हैं?
आप अपने भीतर कैसा अनुभव करते हैं? अपने स्वयं के मन का निरीक्षण करना दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है। आपके भीतर संवेदना तथा प्रवृत्तियों के अवलोकन के साथ संस्कारों का अवलोकन भी आवश्यक है। अन्य की धारणा; स्वयं का अवलोकन और फिर, सही अभिव्यक्ति। अपने आप को सही तरीके से अभिव्यक्त करना।
सारा जीवन केवल इन तीन चीजों का एक शिक्षण है : धारणा, अवलोकन और अभिव्यक्ति। आपके द्वारा की जाने वाली हर गलती वास्तव में कोई गलती नहीं है। यह जीवन के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं की सीखने की प्रक्रिया है। धारणा का विस्तार करने की जरूरत है। किसी को केवल बाहर से ही न देखें। यदि कोई क्रोधी या थोड़ा चिड़चिड़ा है, तो हम उसके व्यवहार के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो कई पहलू सामने आएंगे। वह व्यक्ति किसी कारण से क्रोधी होता है। यह संबंध में प्रतिबिंबित हो रहा है, हमारे बोध के लेंस को चौड़ा कर रहा है। उन्होंने जो किया, उसके लिए उन पर आरोप लगाने के बजाय उन्हें स्वीकार करने और विस्तृत दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। इससे रिश्ते में मदद मिलेगी। यह पहला रहस्य है।
दूसरा पहलू है ‘देना’, साथ ही दूसरों को भी देने की अनुमति दें। मान लीजिए कि आप सब कुछ कर रहे हैं, लेकिन आप बदले में दूसरे व्यक्ति को कुछ करने नहीं दे रहे हैं। आप उन्हें अपने आत्म-सम्मान से दूर ले जा रहे हैं। कभी-कभी लोग कहते हैं, 'देखो, मैंने इतना कुछ किया, लेकिन फिर भी वह व्यक्ति मुझसे प्यार नहीं करता।' क्यों? क्योंकि वे असहज महसूस करते हैं।
प्यार तब होता है, जब आदान-प्रदान होता है और ऐसा तब हो सकता है, जब आप उन्हें भी आपके लिए कुछ करने का मौका दें। इसके लिए थोड़ी कुशलता चाहिए। हमें बिना मांगे दूसरे से योगदान कराने में भी निपुण होना होगा। कोई हमारे लिए कुछ करे, हमारे पास इसके लिए एकमात्र तरीका मांग करना है। इसे और कुशलता से करना होगा। किसी रिश्ते में देखें कि दूसरा भी आपके जीवन में योगदान दे रहा है, ताकि वे पूरी तरह से स्वयं को अर्थहीन महसूस ना करें। प्रेम के खिलने के लिए आत्मसम्मान आवश्यक है। यह दूसरा महत्वपूर्ण रहस्य है।
संबंधों का तीसरा पहलू पर्याप्त स्थान देना है। जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो आप उन्हें सांस लेने की कोई जगह नहीं देते हैं और इससे घुटन हो सकती है। घुटन प्रेम को नष्ट कर देती है। एक दूसरे के अस्तित्व का सम्मान करें। कुछ समय के लिए दूर रहें। पहले के लोग यह जानते थे। साल में एक महीने के लिए पत्नियों को मायके भेजने की उनकी यह प्रथा थी। उस एक महीने के विरह से कितनी तड़प पैदा हो जाती थी। प्रेम को खिलने के लिए लालसा का होना आवश्यक है और लालसा के लिए थोड़ी-सी जगह चाहिए। यदि आप लालसा को नष्ट कर देते हैं, तो प्रेम नहीं पनपता। आकर्षण खो जाता है।
चौथा पहलू यह है कि रिश्ते को मिष्टान्न के रूप में लिया जाना चाहिए, मुख्य भोजन के रूप में नहीं। यदि आपका जीवन किसी लक्ष्य पर केंद्रित है, तो आप उस दिशा में आगे बढ़ेंगे और संबंध साथ-साथ चलेंगे। अगर आपका सारा ध्यान सिर्फ अपने रिश्ते पर है, तो यह काम नहीं करेगा। आप मिठाई को मुख्य भोजन के स्थान पर नहीं ले सकते। जीवन में एक लक्ष्य रखें, कुछ सेवा करने का लक्ष्य रखें। साझा करने और सेवा करने से आपकी प्रेम करने की क्षमता, स्वीकार करने की आपकी क्षमता में वृद्धि होगी। यदि आपके पास वह लक्ष्य है और दोनों मिलकर उस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो कोई समस्या नहीं होगी। सेवा एक सफल रिश्ते के लिए एक आवश्यक घटक है। अगर रिश्ता अपनी आवश्यकता से अधिक दूसरे को देने की भावना से भरा है, तो यह एक अच्छा रिश्ता है। अक्सर हम संबंधों से ऊब जाते हैं। जब आप केंद्रित होते हैं, तो अपने आप से ऊबते नहीं हैं। इससे आपका आकर्षण लंबे समय तक बना रहता है। यही केंद्रित होने का तथा हमारे भीतर की गहराई में स्वयं से जुड़े होने का रहस्य है।
आनंद ने एक बार बुद्ध से पूछा, ' हे बुद्ध! 40 वर्षों से मैं आपको दिन-रात देख रहा हूं। लेकिन यह क्या है? हर दिन आप अधिक आकर्षक होते जाते हैं। हर पल मैं आपको देखता हूं, आप हमेशा नये हैं।' यही हमारी चेतना का स्वभाव है। मन कोई स्थिर झील नहीं है, यह बहती हुई नदी है, तीव्र गति से बहने वाली नदी है। इसलिए जब हम नदी के साथ तैरते हैं, जब हम हर पल केवल उसी पल में होते हैं, न अतीत के बारे में सोचते हैं या भविष्य के बारे में चिंतित होते हैं, हम हमेशा नये होते हैं।
Pic Credit- Instagram/realvideoravi
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