Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sawan 2025: सहजता से प्रसन्न होते हैं भगवान शंकर

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 11:00 AM (IST)

    शिव स्वयंसिद्ध और स्वयंप्रकाशी हैं जो सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित करते हैं। वे देवों के देव महादेव हैं और सहजता से प्रसन्न होने वाले आशुतोष भी हैं। मृत्यु के देवता होने से मृत्युंजय कहलाते हैं। जनकल्याण के लिए विष पीने वाले शिव की पूजा देव दैत्य और मनुष्य तीनों करते हैं। वे कल्याणकारी होने के साथ संहार के देवता भी हैं और प्रकृति संतुलन के प्रतीक हैं।

    Hero Image
    Sawan 2025: सहजता से प्रसन्न होते हैं।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शिव स्वयंसिद्ध एवं स्वयंप्रकाशी हैं। वे स्वयं प्रकाशित रहकर संपूर्ण विश्व को भी प्रकाशित करते हैं। शिवजी में पवित्रता, ज्ञान व साधना के गुण विद्यमान हैं। इसलिए उन्हें 'देवों के देव', अर्थात 'महादेव' कहते हैं। भगवान शिव सहजता से प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इसलिए उन्हें आशुतोष भी कहते हैं। भगवान शिव मृत्यु के देवता हैं, अतः उन्हें मृत्युंजय कहते हैं। अमृत का पान सभी करना चाहते हैं, लेकिन भगवान शिव जनकल्याण के लिए विष पीते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यही कारण है कि शिव की पूजा देव, दैत्य व मनुष्य तीनों करते हैं। कल्याणकारी होने के साथ शिव संहार के देवता हैं। भगवान शिव पतित पावनी मोक्षदायिनी मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किए हुए हैं। सिर पर चंद्रमा धारण कर वह शीतलता के प्रतीक हैं।

    बलवीर गिरि मठाधीश श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी

    सर्प की माला, सिंह की खाल का आसन और नंदी की सवारी अर्थात जो अहितकारी है उस पर शिव का नियंत्रण है। वास्तव में यह संहार नवजीवन के लिए है जैसे सृजन के लिए विध्वंस होता है। पुराने का मोह ही नए निर्माण की क्षमता का विनाश भी करता है।

    शिव भक्तों का कल्याण करते हैं तो मृत्यु प्रदाता भी हैं। शिव पुराण शिव महिमा का बखान है। शिव प्रकृति संतुलन के देवता भी हैं। यही कारण है कि श्रावण मास में उनकी स्तुति होती है।

    प्रकृति नए स्वरूप में

    श्रावण में प्रकृति नए स्वरूप में होती है, भीषण गर्मी के बाद होने वाली बारिश से प्रकृति की छटा निखरती है। चहुंओर हरियाली ही हरियाली होती है। जो मानव को आंतरिक सुख प्रदान करता है। शिव की लीलाएं अनंत हैं। हर लीला का अपना महत्व व उद्देश्य है।

    यह भी पढ़ें: Sawan 2025: पापों से मुक्त करती है भगवान शिव की आराधना