Hindu New Year 2025: हिंदू नववर्ष के दिन हुई थी सतयुग की शुरुआत, यहां पढ़िए धार्मिक महत्व
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विशेष उत्सव है जिसे हिंदू नववर्ष आरंभ के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं इस समय आदि पिता ब्रह्मा ने सृष्टि रचने का कार्य प्रारंभ किया। जिस प्रकार सूर्योदय से पूर्व काल को अमृत वेला कहते हैं वैसे पूरे साल के लिए हमारी वृति वातावरण आचरण प्रवृत्ति व पर्यावरण को नए सिरे से स्वस्थ स्वच्छ संतुलित समृद्ध शक्तिशाली बनाने का शुभ वेला भी यह तिथि है।
ब्रह्मा कुमारी शिवानी (प्रेरक वक्ता)। सनातन सभ्यता अति प्राचीन है। आदि काल में भारत भूमि पर तैंतीस कोटि देवी देवताओं का वास रहा है। जिनके स्वभाव, संस्कार, दृष्टि, वृत्ति व कर्म सदैव स्व-धर्म यानी आत्मिक शांति, सुख, प्रेम, पवित्रता, सदाचार, सहयोग व सद्भाव की रही है। सनातन संस्कृति की उपज हिंदू सभ्यता है, जिसमें हमारे पूर्वज देवी-देवताओं के पवित्र, सतोगुणी कर्म व जीवन प्रणाली का स्मरण करने हेतु अनेक पर्व-त्यौहार व उत्सव मनाए जाते हैं।
समृद्ध व शक्तिशाली बनाने के लिए शुभ प्रतिपदा तिथि
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विशेष उत्सव है, जिसे हिंदू नववर्ष आरंभ के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं, इस समय आदि पिता ब्रह्मा ने सृष्टि रचने का कार्य प्रारंभ किया। जिस प्रकार सूर्योदय से पूर्व काल को अमृत वेला कहते हैं, वैसे पूरे साल के लिए हमारी वृति, वातावरण, आचरण, प्रवृत्ति व पर्यावरण को नए सिरे से स्वस्थ, स्वच्छ, संतुलित, सुखद, समृद्ध व शक्तिशाली बनाने का शुभ वेला भी यह तिथि है।
किसे कहते हैं संवत?
इस समय, वसंत ऋतु की हरियाली व मानव में उत्साह रहता है। यही उपयुक्त समय होता है, मानव जीवन और संसार में श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा अपने भीतर दैवी संस्कारों को पुनः विकसित करने का। सनातनी परंपरा के अनुसार इसके पूर्व होली पर होलिका दहन में पुरानी चीजों को जलाया जाता है। इस प्रथा का भावार्थ यही है कि हम व्यर्थ संस्कारों का दहन करें। पारंपरिक रूप में इसे संवत जलाना कहते हैं। एक दिन बाद रंग खेलने का अर्थ है कि हम सद्ज्ञान, सद्गुण व सदाचरण रूपी सुखदाई संस्कारों का रंग डालें, ताकि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से जीवन व सुखमय संसार का नया संवत शुरू हो जाए।
इसी दिन से होती है चैत्र नवरात्र की शुरुआत
यह भी मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ और देवी शक्तियों का पूजन आरंभ हुआ। हिंदू नववर्ष में नवरात्र आदि पर्वों का मूल उद्देश्य है, श्रद्धालुओं को दैवी गुणों, सनातनी संस्कृति, सात्विक खानपान, स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित करना। लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर कराना। मानव जीवन और समाज में दया, करुणा, मैत्री, स्नेह, एकता, भाईचारा व वसुधैव कुटुंबकम जैसे सकारात्मक गुण, शक्ति, वैश्विक मूल्य, आदर्श, सनातनी संकल्प व श्रेष्ठ संस्कारों को बढ़ावा देना।
चैत्र नवरात्र 2025 डेट
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट होगा। इस प्रकार 30 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी।
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