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Guru Purnima 2022: गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था महाभारत और पुराणों के रचयिता गुरु महर्षि वेद व्यास का जन्म, जानिए रोचक पौराणकि कथा

Guru Purnima 2022 माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसी कारण इस दिन व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन काफी लोग वेद व्यास की पूजा करने के साथ उनके द्नारा रचित ग्रंथों का पाठ करते हैं।

By Shivani SinghEdited By: Published: Wed, 13 Jul 2022 08:12 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jul 2022 08:12 AM (IST)
Guru Purnima 2022: गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था महाभारत और पुराणों के रचयिता गुरु महर्षि वेद व्यास का जन्म, जानिए रोचक पौराणकि कथा
Guru Purnima 2022: गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था गुरु महर्षि वेद व्यास का जन्म

नई दिल्ली, Guru Purnima 2022: आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के साथ-साथ व्यास जयंती भी मनाई जाती है। जहां गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा और उपासना करते हैं और अपनी योग्यता के अनुसार भेंट देते हैं। शास्त्रों में भी गुरुओं को देवताओं के बराबर माना गया है। महर्षि वेद व्यास के बारे बहुत ही कम लोग जानते हैं। जानिए वेद व्यास के जन्म के पीछे भी काफी रोचक पौराणिक कथा है।

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ऋषि पराशर के पुत्र महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ। उन्होंने महाभारत, अठारह पुराणों, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय वैदिक साहित्य दर्शन के रचयिता माना जाता है। इसके साथ ही उन्हें कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जाना जाता है।

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वेद व्यास के अवतार को लेकर एक श्लोक काफी प्रसिद्ध है जो इस प्रकार है।

व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे।

नमो वै ब्रह्मनिधये वसिष्ठाय नमो नम:।।

इस श्लोक का अर्थ है कि वेद व्यास साक्षात भगवान विष्णु का ही स्वरूप है और भगवान विष्णु ही वेद व्यास हैं। ऐसे ब्रह्म ऋषि वसिष्ठ जी के कुल में उत्पन्न पराशर पुत्र वेद व्यास जी को शत शत नमन है।

वेद व्यास जी के जन्म की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में महर्षि पराशर भ्रमण के लिए निकले थे। जब वह भ्रमण कर रहे थे, तो उनकी नजर एक महिला पर पड़ी जिसका नाम सत्यवती था। सत्यवती एक मछुआरे की पुत्री थी जो देखने में बेहद खूबसूरत थी। लेकिन मछुआरे के घर में जन्म लेने के कारण उनके शरीर से मछली की गंध आती रहती थी। इसी कारण उन्हें मतस्यगंधा भी कहा जाता था। पराशर ऋषि ने उसे देखकर व्याकुल हो गए। लेकिन पराशर ऋषि ने सत्यवती से संतान प्रदान करने की इच्छा प्रकट की। ये बात सुनकर सत्यवती काफी आश्चर्यचकित होते हुए बोली कि मैं इस तरह से अनैतिक संबंध कैसे बना सकती हूं। इस तरह से संतान का जन्म लेना व्यर्थ है। तब पराशर ऋषि ने कहा कि तुम्हारी कोख से जन्म लेने वाला बच्चा संसार के लिए महान काम करेगा। ऐसे में सत्यवती मान गई लेकिन उसनें ऋषि के सामने तीन शर्त रखी। पहली शर्त के अनुसार संभोग क्रीडा करते समय कोई न देखें। दूसरी शर्त थी कि होने वाला बच्चा महान ज्ञानी होने के साथ मेरी कौमार्यता कभी भंग न हो और तीसरी शर्त की शरीर से आने वाली गंध फूलों की खूशबू में बदल जाएं। ऐसे में ऋषि पराशर ने तुरंत तथास्तु कह दिया।

आने वाले समय में सत्यवती ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम कृष्ण द्वैपायन रखा था जो आगे चलकर वेद व्यास कहलाएं।

Pic Credit- Instagram//snv.arts/

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