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    88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल देती है योगिनी एकादशी, क्या इस बार रहेगा भद्रा का असर

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 06:50 PM (IST)

    Yogini Ekadashi 2025 योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस बार यह 21 जून को है लेकिन इस दिन भद्रा का साया रहेगा जिसे हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना जाता। हालांकि यह पाताल की भद्रा होने से धरती पर इसका विशेष प्रभाव नहीं होगा।

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    Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी इस बार 21 जून को शनिवार के दिन मनाई जाएगी।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2025) का व्रत रखा जाएगा। जून 2025 की यह अंतिम एकादशी इस बार 21 तारीख को शनिवार के दिन मनाई जाएगी। 

    मगर, इस बार योगिनी एकादशी के दिन भद्रा का साया रहेगा। भद्रा काल को हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है। कोई भी अच्छा काम इस समय पर करना वर्जित माना जाता है। भद्रा काल सुबह 5:24 से लेकर सुबह 7:18 मिनट तक रहेगा। हालांकि, वह पाताल की भद्रा रहेगी। 

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    लिहाजा, उसका कोई खास असर धरती पर नहीं रहेगा। फिर भी यदि संभव हो, तो उस समय को पूजा करने के लिए टाला जा सकता है। इसके पहले और बाद में कई मुहूर्त हैं, जिसमें पूजन किया जा सकता है। 

    इस समय पर करें पूजा 

    योगिनी एकादशी पर पूजन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:04 से 4:44 तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से 12:51 तक रहेगा। अमृत काल दोपहर 1:12 से लेकर दोपहर 2:41 तक रहेगा। इन समयों पर योगिनी एकादशी का व्रत करने और पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। 

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    योगनी एकादशी व्रत का फल 

    कहते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मण को भोजन करने के बराबर के पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में सुख और शांति आती है। पद्म पुराण में इस एकादशी के महत्व के बारे में बताया गया है। 

    इसमें लिखा गया है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के समस्त पाप मिट जाते हैं। उसे रोगों से मुक्ति मिलती है। सृष्टि के संचालक और पालनहार भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी को समर्पित इस व्रत को करने वाला मनोवांछित फल पाता है और समस्त सुखों को भोगकर अंत में वह मोक्ष को प्राप्त करता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।