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    Hanuman Chalisa Paath: क्यों ताकतवर मानी गई है हनुमान चालीसा? जानें क्यों करते हैं इसका पाठ

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 20 Oct 2020 11:17 AM (IST)

    Hanuman Chalisa Paath हनुमान चालीसा के स्मरण से काम बनने लगते हैं। शुरुआती दोहे को ही समझने की कोशिश करें तो इसमें कहा जा रहा है कि मुझे बुद्धि हीन जानके हे पवन कुमार बल दो विद्या दो बुद्धि दो ताकि सभी क्लेशों का अंत हो सके।

    हनुमान चालीसा को सौ तालों की चाबी कहा गया है।

    Hanuman Chalisa Paath: श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। ये पंक्तियां है हनुमान चालीसा के आगाज की। हनुमान चालीसा को सौ तालों की चाबी कहा गया है। मान्यता है कि इसके स्मरण मात्र से बिगड़ते काम बनने लगते हैं। भय का नाश होता है। शुरुआती दोहे को ही समझने की कोशिश करें, तो इसमें कहा जा रहा है कि मुझे बुद्धि हीन जानके हे पवन कुमार बल दो, विद्या दो, बुद्धि दो, ताकि सभी क्लेशों का अंत हो सके।

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    दरअसल भगवान की पूजा श्रद्धा पर निर्भर है। कहने को कोई कह सकता है कि एक मिनट में पूरी हो जाने वाली हनुमान चालीसा में ऐसा क्या है, जो संकटों का नाश कर देती है। इसका जवाब भी हनुमान चालीसा में ही छिपा है। बात एक मिनट या एक घंटे की पूजा की नहीं है, बात एकाग्रता की है। आप अगर एक मिनट के लिए एकाग्र होते हैं, तो आप का स्वयं से साक्षात्कार होता है। बस, पूजा पाठ इसीलिए है कि आप अपने मन में झांके।

    जब हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए कोई भी भक्त यह पढ़ता है कि भूत पिशाच निकट नहीं आवे। महावीर जब नाम सुनावे। तो इसे कवच के रूप में देखा जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि अब कोई विपदा आएगी तो आपके आगे कोई घेरा बन गया है। दरअसल इन पंक्तियों के माध्यम से आप अपने मन की शक्तियों को बलवती करते हैं और मानते हैं कि हनुमान चालीसा का पाठ कर राम भक्त हनुमान को सिद्ध किया गया है, अब कोई बुरी ताकत हिम्मत भी नहीं करेगी हमसे टकराने की।

    इस मान्यता के पीछे भी आत्मविश्वास को ही मजबूत करने का मैसेज छिपा है। हनुमान चालीसा के अंत के दोहे में भी राम जी को नमन किया गया है ताकि भक्त हनुमान हमेशा राम जी साथ हमारे हृदय में वास करें।

    पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

    राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '