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    भगवान गणेश को क्यों नहीं चढ़ाई जाती है तुलसी? जानें इसके पीछे की वजह

    Updated: Thu, 22 May 2025 11:18 AM (IST)

    हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की पूजा का बहुत महत्व है लेकिन उनकी पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं होता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी तुलसी ने गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दिया था जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर तुलसी जी ने उन्हें दो विवाह का श्राप दिया जिसके फलस्वरूप गणेश जी ने भी उन्हें असुर से विवाह होने का श्राप दिया था।

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    Lord Ganesha: गणेश जी से विवाह करना चाहती थीं मां तुलसी।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश की पूजा का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। वे सभी देवताओं में प्रथम पूज्य माने गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से जीवन के विभिन्न कष्टों का अंत होता है। गौरी पुत्र की पूजा को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनमें से एक उनकी पूजा में तुलसी दल (Why Is Tulsi Not Offered To Lord Ganesha?) का इस्तेमाल न होना भी है, लेकिन क्या आपको इसके पीछे की वजह पता है? अगर नहीं तो आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।

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    तुलसी जी ने इसलिए दिया श्राप

    प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश गंगा तट पर गहरी तपस्या में लीन थे। उसी समय देवी तुलसी वहां से गुजरीं। जब उन्होंने बप्पा को तपस्या करते देखा, तो उनके रूप को देखकर मोहित हो गईं और उनके सामने विवाह करने की इच्छा प्रकट की।

    गणेश जी उस समय ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे थे, जिस वजह से उन्होंने शादी के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। गणेश जी के इस निर्णय से देवी तुलसी बहुत निराश हुईं और क्रोध में आकर उन्होंने उन्हें श्राप दे दिया कि उनके दो विवाह होंगे।

    भगवान गणेश का श्राप

    इससे भगवान गणेश अत्यंत क्रोधित हो गए हैं, तब उन्होंने भी उनको यह श्राप दे दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा और बाद में वे एक पौधे के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होंगी। इसके साथ ही उनकी पूजा में कभी तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

    तुलसी जी को बप्पा ने दिया आशीर्वाद

    इस घटना के बाद तुलसी जी ने शिव पुत्र से माफी मांगी। तब श्री गणेश ने इन सब श्राप के बदले एक दिव्य आशीर्वाद दिया कि भले ही आपका विवाह शंखचूड़ नामक असुर से होगा, लेकिन बाद में भगवान विष्णु द्वारा उसका वध होने के बाद आपका विवाह दोबारा से श्री हरि के स्वरूप

    शालीग्राम जी के साथ होगा और आप कलयुग में सदैव के लिए पूजनीय होंगी। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की पूजा तुलसी दल के बिना अधूरी मानी जाएगी, क्योंकि आप उन्हें बेहद प्रिय होंगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।