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    Radha Rani: क्यों सुख और समृद्धि की देवी राधा रानी को कहा जाता है किशोरी जी?

    धार्मिक मत है कि जगत के पालनहार भगवान कृष्ण और राधा रानी (Radha Rani Story) की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। राधा रानी के शरण में रहने वाले साधकों को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा भगवान कृष्ण की कृपा भी बरसती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 08 Jan 2025 08:56 PM (IST)
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    Radha Ran Kathai: राधा रानी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के अगले दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं। सुख और समृद्धि की देवी मां राधा की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में नवसंचार होता है। राधा रानी के भक्त उन्हें ही कृष्ण मनाते हैं।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि राधा रानी द्वापर युग की समकालीन थीं। उन्हें जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की संगिनी भी कहा जाता है। हालांकि, राधा ही कृष्ण और कृष्ण ही राधा हैं। राधा जी को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम किशोरी है। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों राधा रानी को किशोरी जी कहा जाता है? आइए, इसकी कथा जानते हैं-

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    कथा

    ऋषि कहोड़ और सुजाता के पुत्र अष्टावक्र ने अष्टावक्र गीता की रचना की है। इस ग्रंथ के माध्यम से अष्टावक्र ने    भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और मुक्ति का वर्णन विस्तारपूर्वक किया है। हालांकि, उनको यह ज्ञान विरासत से मिली थी। कहते हैं कि मां के गर्भ में रहने के दौरान अष्टावक्र को शास्त्र का ज्ञान हुआ था। इस दौरान अष्टावक्र ने अपने पिता को शास्त्र पर ज्ञान देने और गलत पाठन करने के लिए रोका भी था।

    यह सुन ऋषि कहोड़ गुस्से में आ गये थे। उस समय ऋषि कहोड़ ने सुजाता के गर्भ में पल रहे पुत्र को अष्ट रूप में पैदा होने का श्राप दे दिया। कालांतर में सुजाता के गर्भ से अष्टावक्र का जन्म हुआ था। अष्टावक्र ने शास्त्रार्थ के जरिए अपने पिता को जीवित किया था। एक बार की बात है कि अष्टावक्र बरसाने गये थे। वहां, अष्टावक्र के रूप को देख सभी हंसने लगे थे।

    अपने ऊपर हंसने वाले लोगों को अष्टावक्र ने योग शक्ति के माध्यम से पत्थर बना दिया। इसी समय भगवान कृष्ण और राधा रानी भी उपस्थित थे। राधा रानी भी मुस्कुराने लगी। यह देख अष्टावक्र क्रोधित हो उठे। तब भगवान कृष्ण ने कहा कि एक बार राधा रानी के मुस्कराने की वजह जान लें। जब अष्टावक्र ने राधा रानी से मुस्कराने का औचित्य जाना, तो श्रीजी बोली- मैं तो आपमें जगत के पालनहार को देख मुस्कुरा रही हूं। यह सुन अष्टावक्र प्रसन्न हो गये। उन्होंने राधा रानी को ताउम्र किशोरी रहने का वरदान दिया। इसके लिए राधा रानी को किशोरी जी कहा जाता है।

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    डिसक्लेमर:'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'