Asthi Visarjan: मृत्यु के बाद आखिर गंगा नदी में क्यों करते हैं अस्थि विसर्जन? क्या है इसकी वजह
सनातन धर्म में ऐसे कई महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जिनका विशेष महत्व है। इनमें गरुड़ पुराण भी शामिल है। यह ग्रंथ अठारह महापुराणों में से एक है। इसमें व्यक्ति की मृत्यु के बाद के बारे में विस्तार से बताया गया है। मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के 3 दिन बाद अस्थियों (asthi visarjan significance) को चुना जाता है और दस दिन के अंदर गंगा नदी में विसर्जन किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इसे एक विशेष अनुष्ठान माना जाता है। इस ग्रंथ में मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। जैसे- नरक, स्वर्ग।
अंतिम संस्कार करने के बाद उसकी राख और हड्डियों को पवित्र नदी में बहाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। अस्थि विसर्जन (asthi visarjan significance) करने के लिए गंगा नदी को महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं अस्थि विसर्जन गंगा नदी क्यों किया जाता है और क्या है इसके पीछे की वजह? अगर नहीं पता, तो चलिए इस आर्टिकल में बताएंगे अस्थि विसर्जन के कारण के बारे में।
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इस वजह से किया जाता है अस्थि विसर्जन
गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति की मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन जरूर करना चाहिए। इसे धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल किया जाता है। जब व्यक्ति के शरीर से आत्मा निकल जाती है, तो वह अपने नए जीवन में चली जाती है।
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शरीर पांच तत्वों से मिलाकर बना है, जैसे- पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। अंतिम संस्कार करने के बाद इन्हीं पांच तत्वों में शरीर मिल जाता है। इसके बाद 3 दिनों के अंदर तक अस्थियों को चुना जाता है और 10 दिन के भीतर गंगा नदी में विसर्जन कर दिया जाता है।
क्यों किया जाता है गंगा नदी में अस्थि विसर्जन
गरुड़ पुराण के अनुसार, गंगा नदी (asthi visarjan in Ganga Importance) में अस्थि विसर्जन करने से मृतक व्यक्ति को स्वर्ग मिलता है। क्योंकि भागीरथ मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे। इसी वजह से गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मृतक व्यक्ति को स्वर्ग लोक मिलता है।
अस्थि विसर्जन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- अंतिम संस्कार (Hindu funeral tradition) करने के बाद तीसरे, सातवें, और नौवें दिन अस्थियों को इकट्ठा किया जाता है।
- इसके बाद दस दिनों के भीतर गंगा जैसी पवित्र नदी में विसर्जन करने का विधान है।
- गंगा में अस्थि विसर्जन करने से मृतक व्यक्ति को ब्रह्मलोक मिलता है।
- अस्थि विसर्जन करते समय मृतक व्यक्ति की आत्मा की शांति प्राप्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।इस दौरान नीचे दिए गए मंत्र का जप करना चाहिए।
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ।
मंत्र: ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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