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    क्यों कृष्ण जी को करनी पड़ी थी 16 हजार रानियों से शादी? जानिए इसके पीछे की वजह

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 04:31 PM (IST)

    भगवान श्रीकृष्ण के विवाह को लेकर कई सारी कथाएं प्रसिद्ध हैं जिनकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने 16 हजार कन्याओं की रक्षा करने के लिए उनसे विवाह (Lord Krishnas Marriages) किया था। इसके साथ ही 16000 राजकुमारियों से विवाह उनकी दया को दिखाता है। वहीं कान्हा की आठ पटरानियां भी थीं तो चलिए इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Lord Krishna's Marriages: श्री कृष्ण के 16 हजार विवाह की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान कृष्ण के 16,000 विवाह की कथा विष्णु पुराण में पाई जाती है। कथा के अनुसार, एक बार नरकासुर नामक एक राक्षस ने 16,000 राजकुमारियों को बंदी बना लिया था, तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उन सभी को उससे मुक्त कराया था, लेकिन उन कन्याओं को समाज में वापस से स्वीकार नहीं किया गया है, क्योंकि उन्हें नरकासुर द्वारा बंदी बनाया गया था।

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    इसलिए भगवान कृष्ण ने उनसे विवाह (Lord Krishna's Marriages) करने का फैसला किया। ताकि समाज में कोई भी उनके बारे में कुछ गलत न बोल सके।

    श्री कृष्ण के 16 हजार विवाह की कथा (Significance Of Krishnas Marriages)

    आपको बता दें कि विवाह के दौरान भगवान कृष्ण 16,000 रूपों में प्रकट हुए और सभी राजकुमारियों से एक साथ विवाह (Story 16000 Wives Of Krishna) किया था। साथ ही उन्हें द्वारका में अपने महल में रहने के लिए जगह दी। हालांकि कृष्ण जी ने उन सभी कन्याओं को अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार नहीं किया था। यह विवाह कान्हा की करुणा और दया का प्रतीक है कि चाहे भक्तों पर कितनी बड़ी मुसीबत क्यों न आ जाए वे उनकी सदैव रक्षा करते हैं। इसके साथ ही अपने होने का एहसास वे वक्त-वक्त पर अपने भक्तों को देते रहते हैं।

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    श्रीकृष्ण की थीं 8 पटरानियां? (Krishna's Life Story)

    भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियां भी थीं, जिनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा है। वहीं, उनके 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र थे। और 16 हजार 108 पुत्रियां थीं। कहते हैं कि भगवान कृष्ण अपनी सभी पटरानियों के साथ अलग- अलग रूप धारण कर हर वक्त मौजूद रहते थे। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।