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    आखिर क्यों हनुमान जी ने लिया था शेर का रूप, भगवान नरसिंह से जुड़ी है इसकी कथा

    धार्मिक मान्यता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की उपासना करने से जातक के जीवन में आ रहे दुख और संकट जल्द खत्म होते हैं और रुके हुए काम पूरे होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी ने शेर का रूप धारण किया था जो अधिक शक्तिशाली था। ऐसे में चलिए जानते हैं बजरंगबली ( Lord Hanuman Lion Avatar) ने यह रूप क्यों धारण किया था?

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 17 Dec 2024 10:55 AM (IST)
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    कैसा है हनुमान जी का शेर का रूप?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में हनुमान जी को सबसे अधिक शक्तिशाली देवता माना जाता है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन लोग बजरंगबली विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखते हैं। देश में हनुमान जी पूजा-अर्चना अलग-अलग रूपों की जाती है, जिनका अपना-अपना विशेष महत्व है। क्या आप जानते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी (Lord Hanuman power) ने शेर का अवतार क्यों लिया था? अगर नहीं पता, तो चलिए आपको इस आर्टिकल में बताएंगे इससे जुड़ी कथा के बारे में।  

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    इसलिए लिया था शेर का अवतार

    पौराणिक कथा के अनुसार, नरसिंह रूप जगत के पालनहार भगवान विष्णु का रूद्र अवतार है। बजरंगबली को भगवान नरसिंह अवतार से शक्ति मिली थी। हनुमान जी ने भगवान नरसिंह की उपासना और उनकी शक्ति को दिखाने के लिए शेर का रूप लिया था, जिसमें हनुमान जी मानव शरीर और शेर (Lord Hanuman Lion Avatar) के चेहरे के रूप दिखते हैं। उनका यह रूप श्रीहरि के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करता है।

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    क्या है पंचमुखी अवतार

    रामायण के अनुसार, एक बार अहिरावण भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बेहोश कर पाताल लोक लेकर चला गया था। उसने वहां पर पांच दिशाओं में दीपक जला रखे थे। उसे वरदान मिला हुआ था कि जब तक कोई पांचों दीपक एक साथ नहीं बुझएगा, तो अहिरावण का वध नहीं होगा। ऐसे में हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लिया और पांचों दीपक को बुझा दिया, जिसके बाद अहिरावण का अंत किया। इसके बाद भगवान श्रीराम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए।  

    पंचमुखी अवतार का महत्व

    वानर मुख - पंचमुखी अवतार में बजरंगबली का मुख पूर्व दिशा की तरफ है, जिसे वानर मुख कहा जाता है।

    गरुड़ मुख - पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड़ मुख के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह मुख जातक के दुख और संकट कम करता है।

    वराह मुख्य - उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है। मान्यता है कि वराह मुख्य की उपासना करने से इंसान को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    नृसिंह मुख - बजरंगबली का दक्षिण दिशा वाला मुख नरसिंह मुख कहलाता है। इस मुख की पूजा करने से तनाव और सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

    अश्व मुख - पांचवा मुख आकाश की तरफ है, जिसे अश्व मुख के नाम से जाना जाता है। इस मुख की पूजा करने से इंसान की सभी मनोकामना जल्द पूरी होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।