Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lanka Dahan: आखिर क्यों हनुमान जी ने सोने की लंका में लगाई थी आग? क्या थी इसकी वजह

    Updated: Fri, 10 Jan 2025 01:04 PM (IST)

    सनातन धर्म में रामायण को धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। इसके द्वारा आज के समय में लोगों को धर्म संस्कृति और भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे जानकारी प्राप्त होती है। रामायण के अनुसार राम जी के भक्त हनुमान जी ने रावण की सोने की लंका को दहन (Hanuman Lanka fire) किया था। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में।

    Hero Image
    Lanka Dahan: क्या थी लंका दहन की वजह

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ramayana story: धार्मिक मान्यता है कि रोजाना रामायण का पाठ करने से व्यक्ति को भगवान श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है और ज्ञान मिलता है। इस धार्मिक ग्रंथ के द्वारा लोगो को प्रेरणा मिलती है। ऐसे में इस आर्टिकल में हम आपको हनुमान जी से जुड़ी एक ऐसी कथा के बारे में बताएंगे, जिसमें लंका दहन का वर्णन देखने को मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर किस कारण हनुमान जी ने अपनी पूंछ के द्वारा लंकापति रावण की लंका में आग लगा थी। अगर नहीं पता, तो ऐसे में चलिए आपको बताएंगे इसकी वजह के बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को मां पार्वती ने कैलाश पर्वत पर भोजन के लिए बुलाया। इस दौरान मां लक्ष्मी ने मां पार्वती से पूछा की कि आप इतनी ठंड में कैसे रह लेती हैं। इस सवाल से मां पार्वती  आहत हुईं। इसके बाद देवी लक्ष्मी ने मां पार्वती को बैकुंठ धाम पर बुलाया। बैकुंठ धाम मां पार्वती और महादेव पहुचें। तो समृद्धि और शक्ति को देख वैभवशाली महल का निर्माण करने की सलाह दी।

    यह भी पढ़ें: Ramayan Story: रावण ने ही कराया था राम जी की जीत का यज्ञ, नहीं था उससे बड़ा कोई पंडित

    इसके बाद महादेव ने भगवान विश्वकर्मा जी को महल बनाने की जिम्मेदारी दी। भगवान विश्वकर्मा ने सोने का महल बनाया। सोने का महल बनने के बाद मां पार्वती ने सभी देवी-देवताओं को बुलाया। महल की पूजा के लिए जो विद्वान आए थे। वह रावण के पिता ऋषि विश्रवा थे। महल को देखकर वह चकाचौंध रह गए और उन्होंने महादेव से महल को दान में मांग लिया। उनके कहने पर शिव जी ने महल को दान में दे दिया, जिसके बाद मां पार्वती ने दुखी होकर ऋषि विश्रवा को महल को जलाने का श्राप दे दिया। श्राप की वजह से ही बजरंगबली ने सोने की लंका (golden Lanka myth) में आग लगाई थी।  

    बुढ़वा मंगल के दिन हुई थी लंका दहन

    भाद्रपद माह के आखिरी मंगलवार को बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जाता है। रामायण के अनुसार, बुढ़वा मंगल के दिन रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई थी। हनुमान जी ने लंकापति रावण को मजा चखाने के लिए सोने की लंका में आ लगा दी थी, जिसके बाद हनुमान जी ने समुद्र में जाकर पूंछ की आग बुझाई। लेकिन समुद्र के जल की मदद से भी जलन महसूस होने लगी।

    ऐसे में हनुमान जी ने प्रभु श्री राम से मदद मांगी, तो राम जी ने चित्रकूट पर्वत पर जाने की सलाह दी। राम जी ने कहा कि चित्रकूट पर्वत पर शीतल जलधारा गिरती रहती है। राम जी ने हनुमान जी से कहा कि उस शीतल जलधारा की मदद से इस कष्ट से छुटकारा मिलेगा।

    यह भी पढ़ें: Mata Sita Shrap: झूठ बोलने के कारण इन सभी को झेलना पड़ा था माता सीता का क्रोध, आज भी भुगत रहे हैं श्राप

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।