10 Mahavidyas: कौन हैं मां दुर्गा की 10 महाविद्या? जानिए इनका स्वरूप
10 महाविद्याएं देवी दुर्गा का शक्तिशाली स्वरूप हैं। तंत्र-शास्त्र में इनका महत्व है। मां काली प्रथम और उग्र स्वरूप हैं। तारा देवी ज्ञान और मोक्ष की देवी हैं। त्रिपुर सुंदरी सौंदर्य प्रेम और मोक्ष देती हैं। भुवनेश्वरी ब्रह्मांड की स्वामिनी हैं। छिन्नमस्ता दुखों का नाश करती हैं। त्रिपुर भैरवी भय का नाश करती हैं। धूमावती वैराग्य देती हैं तो आइए यहां देवी के 10 स्वरूपों को विस्तार से जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।10 महाविद्याएं देवी दुर्गा का सबसे शक्तिशाली स्वरूप हैं। ये महाविद्याएं देवी दुर्गा के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनके रहस्यों और आध्यात्मिक ज्ञान को दिखाती हैं। तंत्र-शास्त्र में इनकी पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इनकी उपासना से साधक मुश्किल से मुश्किल चीजों को भी आसानी से पा सकता है, तो आइए देवी के इन स्वरूप (10 Mahavidyas) को विस्तार से जानते हैं।
मां दुर्गा की 10 महाविद्याएं
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काली (Kali)
देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं में मां काली प्रथम और सबसे उग्र स्वरूप हैं। उनका रंग काला, बिखरे हुए बाल, गले में मुंडों की माला और कमर में कटे हुए हाथों की करधनी है। उनकी चार भुजाएं भक्तों के सभी दुखों को दूर करती हैं।
तारा (Tara)
तारा देवी का स्वरूप मां काली से मिलता-जुलता ही है, लेकिन उनके शरीर का रंग नीला है। उनके हाथों में खड्ग, कपाल और कमल है। तारा देवी ज्ञान और मोक्ष की देवी हैं, जिनकी आराधना से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari)
मां त्रिपुर सुंदरी को षोडशी भी कहा जाता है, क्योंकि ये 16 साल की कन्या के रूप में हैं। मां कमल के आसन पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। देवी अपने हाथों में पाश, अंकुश, धनुष और बाण धारण करती हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी पूजा से सौंदर्य, प्रेम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भुवनेश्वरी (Bhuvaneshvari)
मां भुवनेश्वरी देवी का स्वरूप शांत और सौम्य है। मां कमल पर विराजमान हैं और वे अपने हाथों में अंकुश, पाश, वरद और अभय मुद्रा धारण करती हैं। देवी ब्रह्मांड की स्वामिनी हैं, जो सृष्टि और पालन-पोषण का काम करती हैं।
छिन्नमस्ता (Chhinnamasta)
छिन्नमस्ता देवी का स्वरूप बेहद विकराल है। वे अपने ही कटे हुए सिर को हाथ में लिए हुए हैं। वहीं, देवी की गर्दन से रक्त की तीन धाराएं निकल रही हैं, जिसका पान वे खुद और उनकी दो योगिनियां कर रही हैं। देवी की पूजा से सभी दुखों का नाश होता है। साथ ही गुप्त शुत्रओं से मुक्ति मिलती है।
त्रिपुर भैरवी (Tripura Bhairavi)
देवी भैरवी का स्वरूप बहुत उग्र है, वे लाल वस्त्र धारण करती हैं और गले में मुंडों की माला तथा हाथों में जप माला और पुस्तक लिए हुईं हैं। भैरवी तपस्या, साहस और आत्म-नियंत्रण की देवी हैं, जिनकी पूजा से भक्तों के अंदर के भय का नाश होता है।
धूमावती (Dhumavati)
धूमावती देवी का स्वरूप एक विधवा स्त्री का है। मां का वाहन कौवा है। देवी का स्वरूप अत्यंत भयानक है। वो गरीबी, अभाव, दुख और मृत्यु की देवी हैं। कहा जाता है कि देवी की पूजा से वैराग्य और मुक्ति की प्राप्ति होती है।
बगलामुखी (Bagalamukhi)
बगलामुखी देवी पीले वस्त्र धारण करती हैं और उनके हाथ में एक गदा है। बगलामुखी शत्रुओं पर विजय, वाद-विवाद में सफलता और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं। देवी की पूजा से वाक् शक्ति मिलती है।
मातंगी (Matangi)
देवी मातंगी हरे रंग की हैं, उनके हाथों में वीणा, तोता, कपाल और खड्ग है। वे कमल पर विराजमान हैं। देवी मातंगी की पूजा से ज्ञान, संगीत, कला, वाक्पटुता और आकर्षण की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियां मिलती हैं।
कमला (Kamala)
कमला देवी मां लक्ष्मी का तांत्रिक स्वरूप हैं। वे कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, वरद व अभय मुद्रा धारण करती हैं। कहा जाता है कि माता रानी की पूजा से धन, समृद्धि, भाग्य और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
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