Ashadha Gupt Navratri 2025 Date: कैसे करें आषाढ़ गुप्त नवरात्र की घट स्थापना? जानें नियम और शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में आषाढ़ गुप्त नवरात्र (Ashadha Gupt Navratri 2025 Date) का विशेष महत्व है जो मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दौरान माता रानी की विधिवत पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में नवरात्र का पर्व हर साल बहुत धूमधाम और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। नवरात्र साल में चार बार आती है। चैत्र, शारदीय, माघ और आषाढ़ नवरात्र। इनमें से आषाढ़ गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। यह मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा के लिए समर्पित है।
यह तंत्र साधना के लिए विशेष मानी जाती है, जब इस नवरात्र (Ashadha Gupt Navratri 2025 Date) की शुरुआत होने वाली है, तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब है? (Ashadha Gupt Navratri 2025 Kab Hai?)
पंचांग गणना के आधार पर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 25 जून को शाम 04 बजे से शुरू होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए 26 जून से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी। वहीं, इसका समापन 26 जून को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर होगा।
घटस्थापना मुहूर्त (Ashadha Gupt Navratri 2025 Ghatasthapana Muhurta)
हिंदू पंचांग के अनुसार, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 26 जून को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भी आप घटस्थापना कर सकते हैं।
घटस्थापना विधि (Ghatasthapana Vidhi)
- सबसे पहले घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश, गंगाजल, अक्षत, जौ, गंगा जी की मिट्टी, नारियल, लाल वस्त्र, अशोक या आम के पत्ते, सुपारी, सिक्का, रोली, मौली और आदि इकट्ठा कर लें।
- घर के ईशान कोण में ही कलश स्थापना करें।
- एक साफ मिट्टी के बर्तन में मिट्टी डालकर जौ बोएं।
- फिर जौ वाले पात्र के ऊपर कलश स्थापित करें।
- कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्का, अक्षत, रोली, हल्दी और कुछ फूल डालें।
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखकर उसके ऊपर एक नारियल रखें।
- नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर मौली से बांध दें।
- घट स्थापित करने के बाद हाथ जोड़कर मां दुर्गा का ध्यान करें और उनके वैदिक मंत्रों का जप करें।
- अखंड ज्योति जलाने का संकल्प लें और कलश के पास एक दीपक जलाएं।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रतिदिन करें।
- देवी को हलवा चने और बताशे का भोग लगाएं।
- अंत में कपूर से आरती करें।
- फिर शंखनाद करें और पूजा में हुई भूलचूक के लिए माफी मांगे।
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