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    Pradosh Vrat 2024: अक्टूबर महीने में कब है प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से मनचाही मुराद पूरी होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस अवसर पर साधक भक्ति भाव से देवों के देव महादेव संग जगत की देवी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा करते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 30 Sep 2024 07:54 PM (IST)
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    Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत पर्व का विशेष महत्व है। यह दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। आइए, अक्टूबर माह के प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 16 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस प्रकार 15 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी पूजा का समय संध्याकाल 05 बजकर 38 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 13 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

    शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो प्रदोष व्रत पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 03 बजकर 15 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 42 मिनट पर होगा। इसके साथ ही दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव संध्याकाल तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को हर कार्य में सफलता मिलती है।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 06 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट पर

    चन्द्रोदय- सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर

    चंद्रास्त- शाम 03 बजकर 47 मिनट पर (16 सितंबर)

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।