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    Gana: क्या होता है गण और कुंडली मिलान में क्यों किया जाता है इस पर विचार?

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 09:00 PM (IST)

    सनातन धर्म में विवाह से पहले कुंडली मिलान आवश्यक माना जाता है, जिसमें गण मिलान एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्योतिष के अनुसार, गण तीन प्रकार के होते हैं - देव, मानव और राक्षस। यदि वर-वधू के गण मेल नहीं खाते, तो वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ आ सकती हैं, जबकि समान गण होने पर विचारों में समानता रहती है। अपने जन्म नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति अपना गण जान सकता है, इसलिए योग्य पंडित से कुंडली मिलान की सलाह दी जाती है।  

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    कुंडली मिलान से कई प्रकार के दोष की जानकारी मिलती है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में विवाह को पवित्र कर्मकांड माना गया है। विवाह से पहले लड़के और लड़की का कुंडली मिलान (Kundli matching importance) किया जाता है। कुंडली मिलान से यह जानकारी मिल जाती है कि विवाह के बाद वर और वधू का वैवाहिक जीवन कैसे गुजरने वाला है?

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    कुंडली मिलान से कई प्रकार के दोष की जानकारी मिलती है। इनमें नाड़ी और भकूट दोष प्रमुख हैं। इसके साथ ही कुंडली मिलान में गण का भी विचार किया जाता है।

    ज्योतिषियों की मानें तो कई बार वर और वधू के गण न मिलने से वर और वधू को वैवाहिक जीवन (Vedic marriage compatibility) में परेशानी का सामना करना पड़ता है। आइए, गण के बारे में सबकुछ जानते हैं-


    गण के प्रकार

    ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो देव, मानव और राक्षस तीन प्रकार के गण (Gana in horoscope) हैं। वर और वधू के राक्षस और देव या देव और राक्षस गण होने पर जातक के विचार में मतभेद देखने को मिल सकता है। इसी प्रकार, वर और वधू के राक्षस और मानव या मानव और राक्षस गण होने पर भी दोनों के विचार, रहन-सहन आदि भिन्न हो सकते हैं। वहीं, वर और वधू के एक ही गण राक्षस-राक्षस, देव-देव और मानव-मानव होने पर विचारों में समानता देखने को मिलती है।

    क्यों किया जाता है विचार?

    ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली मिलान में गण न मिलने पर वर और वधू को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए गण न मिलने या राक्षस गण मिलने पर बारीकी से विचार करने की सलाह दी जाती है। अतः योग्य या प्रकांड पंडित से कुंडली मिलान कराना उत्तम होता है।


    कैसे जानें अपना गण?

    • पुर्नवासु, पुष्‍य, हस्‍त, स्‍वाति, अनुराधा, श्रावण, रेवती, अश्विनी और मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक देव गण के होते हैं।
    • पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा, उत्तर षाढा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद, भरणी, रोहिणी और आर्दा आदि नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक मनुष्य गण के माने जाते हैं।
    • अश्लेषा, विशाखा, कृत्तिका, चित्रा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा आदि नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक राक्षस गण के होते हैं।

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    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '