किसका प्रतीक हैं देवी-देवताओं की अनेक भुजाएं, मिलता है बहुत ही खास संकेत
मां दुर्गा मां लक्ष्मी सरस्वती जी और भगवान विष्णु समेत कई देवी-देवता ऐसे हैं जिनके चित्रों या मूर्ति में उनकी दो से अधिक भुजाएं दर्शायी जाती हैं। यह भुजाएं आमतौर पर चार या छह होती हैं। इसका एक बहुत ही खास कारण माना गया है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आपने प्रतिमा या मूर्ति आदि में देखा होगा कि हिंदू देवी-देवताओं के दो से अधिक भुजाएं होती हैं, जिसमें उन्होंने अलग-अलग चीजें धारण की हुई होती हैं। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर देवी-देवताओं की इतनी भुजाएं होने का क्या अर्थ है।
आध्यात्मिक प्रतीक
हिंदू देवताओं की कई भुजाएं उनकी सर्वोच्च शक्ति को दर्शाते हैं। उदाहरण के तौर पर, मां दुर्गा ने अपनी भुजाओं में कई हथियार धारण किए हुए हैं, जो उनकी बुराइयों पर लड़ने की अपार शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी के साथ भगवान विष्णु ने अपनी भुजाओं में जो वस्तुएं धारण की हुई हैं उन्हें आध्यात्मिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतीक से जोड़कर देखा जाता है।
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दर्शाती हैं ये चीजें
आपने देवी-देवताओं के चित्र में देखा होगा कि प्रत्येक अतिरिक्त भुजा एक विशिष्ट हथियार या प्रतीक रखती है। यह उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसी के साथ हिंदू देवी-देवताओं की अनेक भुजाएं उनकी बहुमुखी प्रकृति का भी प्रतीक मानी गई हैं।
इसके साथ ही यह भुजाएं इस बात का भी प्रतिनिधित्व करती हैं कि वह एक साथ कई कार्य करने में सक्षम हैं। देवी-देवताओं अपनी अनेक भुजाओं में धारण अस्त्र-शस्त्र से ही बुराईयों का अंत करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
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किस देवी-देवता की हैं कितनी भुजाएं
मां लक्ष्मी और सरस्वती को चार भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। जहां मां लक्ष्मी की पूजा धन की देवी के रूप में की जाती है, वहीं मां सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। इन देवियों की चार भुजाएं उनके भक्तों को गुण प्रदान करती हैं।
वहीं भगवान शिव के अनेक स्वरूपों में उन्हें कई भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। देवी दुर्गा को अक्सर आठ भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। देवी दुर्गा की आठ भुजाएं विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलाने और अपने शत्रुओं पर विजय पाने की उनकी क्षमता को दर्शाती हैं।
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