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    Vrishabha Sankranti 2025: शिव और सिद्ध योग में मनाई जाएगी वृषभ संक्रांति, खुशियों से भरा रहेगा ज्येष्ठ महीना

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 12 May 2025 06:42 PM (IST)

    वृषभ संक्रांति (Vrishabha Sankranti 2025) पर आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा एवं साधना की जाती है। सूर्य देव की पूजा करने से शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही करियर को नया आयाम मिलता है। इसके साथ ही संक्रांति तिथि पर दान भी किया जाता है।

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    Vrishabha Sankranti 2025: वृषभ संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 15 मई को वृषभ संक्रांति है। इस शुभ अवसर पर आत्मा के कारक सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। 15 मई को सूर्य देव मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के वृषभ राशि में गोचर करने की तिथि पर वृषभ संक्रांति मनाई जाएगी।

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    ज्योतिषियों की मानें तो वृषभ संक्रांति तिथि पर शिव और सिद्ध योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में सूर्य देव की पूजा-उपासना करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए, वृषभ संक्रांति की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    वृषभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrishabha Sankranti Shubh Muhurat)

    आत्मा के कारक सूर्य देव 15 मई को देर रात 12 बजकर 11 मिनट पर मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। वृषभ राशि में सूर्य के गोचर से 15 मई को वृषभ संक्रांति मनाई जाएगी। इस राशि में सूर्य देव एक महीने तक रहेंगे। इसके बाद सूर्य देव मिथुन राशि में गोचर करेंगे।

    वृषभ संक्रांति स्नान-दान समय (Vrishabha Sankranti)

    वृषभ संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक है। इस दौरान साधक स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा कर सकते हैं। साथ ही पूजा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान कर सकते हैं।

    वृषभ संक्रांति शुभ योग (Vrishabha Sankranti Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इनमें शिव और सिद्ध का दुर्लभ संयोग बन रहा है। शिव योग सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का संयोग है। सिद्ध योग का संयोग रात भर है। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी अधूरे काम बनेंगे।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 05 मिनट पर
    • चंद्रोदय- शाम 09 बजकर 47 मिनट पर
    • चंद्रास्त- सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 07 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।