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    Vishwakarma Puja 2025: कैसे करें विश्वकर्मा पूजा? एक क्लिक में जानें नियम, मुहूर्त और महत्व

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 09:26 AM (IST)

    हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2025 Rules) का बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है जो देवताओं का वास्तुकार और शिल्पकार माने जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

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    Vishwakarma Puja 2025 : विश्वकर्मा पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vishwakarma Puja 2025: हर साल साधक विश्वकर्मा पूजा भक्ति भाव के साथ मनाते हैं। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है, जिन्होंने ब्रह्मांड के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। यह दिन कारीगरों, शिल्पकारों और इंजीनियरों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वे अपने उपकरणों, मशीनों और कार्यस्थलों की पूजा करके भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हैं। ऐसे में आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    पूजा का महत्व (Vishwakarma Puja 2025 Significance)

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्होंने न केवल देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र बनाए, बल्कि उन्होंने लंका, और द्वारका का भी निर्माण किया। विश्वकर्मा पूजा का उत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उन मशीनों के लिए सम्मान जाहिर करने का एक तरीका है, जो हमारी प्रगति का आधार हैं। इस दिन लोग अपने काम में सफलता व सुरक्षा के लिए भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद मांगते हैं।

    विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Puja 2025 Muhurat)

    • अमृत काल - रात 12 बजकर 06 मिनट से 01 बजकर 43 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक।

    आज विश्वकर्मा जी की पूजा साधक, अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान करके कर सकते हैं।

    पूजा विधि (Vishwakarma Puja 2025 Rituals)

    • पूजा से एक दिन पहले या पूजा के दिन सुबह अपने कार्यस्थल, औजारों और मशीनों को अच्छी तरह से साफ करें।
    • एक साफ-सुथरे स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें।
    • पूजा के लिए फूल, फल, मिठाई, अक्षत (चावल), रोली, चंदन, धूप, दीपक और एक कलश तैयार करें।
    • स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और पूजा का संकल्प लें।
    • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
    • फिर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति पर तिलक लगाएं, गंगाजल, फूल माला चढ़ाएं और दीपक जलाएं। अपने औजारों और मशीनों पर भी तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं।
    • फल, मिठाई और घर पर बनी खास मीठी चीजों का भोग लगाएं।
    • पूजा के दौरान 'ॐ आधार शक्तपे नमः, ॐ कूमयि नमः, ॐ अनंतम नमः, ॐ पृथिव्यै नमः, ॐ श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्मयाय नमो नमः' मंत्र का जाप करें।
    • अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और प्रसाद बांटें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।