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    संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए करते हैं विनायक चतुर्थी का व्रत, नोट कीजिए पूजा विधि

    Vinayaka Chaturthi 2025 माताएं अपनी संतान की लंबी और स्वस्थ आयु की कामना से विनायक चतुर्थी का व्रत रखती हैं। विघ्नहर्ता और ज्ञान के प्रतीक भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस दिन गणेश की मूर्ति स्थापित करके गणेश मंत्रों का जाप किया जाता है। मोदक फल मिठाई और फूल चढ़ाकर विघ्नहर्ता की आरती की जाती है।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Mon, 28 Apr 2025 03:07 PM (IST)
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    हर महीने में एक बार यह तिथि पड़ती है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayaka Chaturthi 2025: प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा। हर महीने में एक बार यह तिथि पड़ती है। इस तिथि के दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए व्रत और पूजा करती हैं।

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    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साधक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है। पूजा और व्रत करने के बाद मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है।

    पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 30 अप्रैल की दोपहर के 2:11 मिनट से आरंभ होकर एक मई को सुबह 11: 24 मिनट पर रहेगी। उदया तिथि को लेने की वजह से एक मई को गुरुवार के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत और पूजन करना उचित रहेगा।

    इस दिन क्या करें

    वैशाख विनायक चतुर्थी के दिन सुबह गणेश भगवान की पूजा करें।

    इस दिन व्रत न रखा हो, तो भी सात्विक भोजन करने का प्रयास करें।

    यदि व्रत रख रहे हैं, तो उससे पूर्व व्रत रखने का संकल्प जरूर लें।

    इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना अच्छा रहेगा।

    व्रत के सभी नियमों का पालन करें। अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें।

    प्रथम पूज्य भगवान गणेश के भजन-कीर्तन करते हुए दिन बिताएं।

    किन कामों को करने से बचें

    वैशाख विनायक चतुर्थी के दिन मास-मदिरा का सेवन नहीं करें।

    इस दिन तामसिक भोजन खाने से परहेज करें। काले कपड़े न पहनें।

    भगवान गणेश के पूजन में तुलसी की पत्तियों को नहीं चढ़ाएं।

    विनायक चतुर्थी की पूजा विधि

    • विनायक चतुर्थी के दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि करके तैयार हो जाएं।
    • घर में पाटे या चौकी पर लाल या पीले रंग का साफ कपड़ा बिछा दें।
    • गणेश भगवान की मूर्ति या फोटो को उस चौकी पर स्थापित कर दें।
    • भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें और व्रत का संकल्प लें।
    • गणेश जी के मंत्रों का जाप करते हुए उन्हें दूर्वा, पीले फूल, नैवेद्य, फल चढ़ाएं।
    • मंंगलाचार करने के बाद धूप और दीप से गणेश जी की आरती उतारें।

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    गणेश जी की आरती

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

    सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।