Vinayak Chaturthi 2025: जीवन की हर परेशानी को दूर करने के लिए करें इन मंत्रों का जप
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (Vinayak Chaturthi 2025) भी कहा जाता है। गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही करियर और कारोबार की परेशानी दूर हो जाती है। इस शुभ तिथि पर दान करने से साधक को अक्षय फल मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 30 मई को विनायक चतुर्थी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने और करियर या कारोबार में तरक्की पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी होगी। अगर आप भी करियर और कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। साथ ही पूजा का समापन गणेश जी की आरती से करें।
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भगवान गणेश के मंत्र
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
6. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥
7. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
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9. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
10. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
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