Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी की पूजा में जरूर करें गणेश जी की आरती, मिलेगा पूर्ण फल
हर माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके निमित्त व्रत किया जाता है। ऐसे में आपको इस तिथि पर गणेश जी की पूजा के दौरान आरती का पाठ भी जरूर करना चाहिए ताकि आपके ऊपर गणपत्ति बप्पा की कृपा बनी रहे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूजनीय देव के रूप में पूजा जाता है। चतुर्थी तिथि पर विशेष रूप से गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। ऐसे में मार्गशीर्ष माह की विनायक चतुर्थी का व्रत गुरुवार 05 अक्टूबर को किया जाएगा।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Muhurat)
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 04 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इस तिथि का समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की विनायक चतुर्थी, गुरुवार 05 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दौरान गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त ये रहने वाला है -
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
गणेश जी की आरती (Ganesh Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए विनायक चतुर्थी को एक उत्तम तिथि माना जाता है। ऐसे में यदि आप इस दिन पर भक्तिभाव से गणेश जी की आराधना करते हैं, तो आपके सभी कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण होते हैं। गणेश जी की पूजा के दौरान उनकी आरती भी जरूर करनी चाहिए, तभी आप पूजा का पूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं।
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बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय
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