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    Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी आज, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने रखा जाता है। यह भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन लोग पूजा-पाठ और उपवास रखते हैं जो लोग इस व्रत (Vinayak Chaturthi 2025 Date) का पालन करते हैं उन्हें भगवान गणेश का आशीर्वाद हमेशा के मिलता है। इस माह यह आज यानी 03 मार्च 2025 दिन सोमवार को मनाई जा रही है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 03 Mar 2025 09:31 AM (IST)
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    Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह पवित्र दिन अमावस्या के बाद चौथे दिन पड़ता है। प्रत्येक माह में दो चतुर्थी आती हैं। ऐसा मानना ​​है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से उनकी कृपा सदैव के लिए प्राप्त की जा सकती हैं। इस व्रत का पालन करने वाले भक्तों को भगवान गणेश की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का मौका मिलता है और उनके सभी कष्टों का अंत होता है। पंचांग के अनुसार, मासिक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) हर महीने शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है। इस बार यह 3 मार्च, 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है।

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    पूजा मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2025 Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी पर रवि योग सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक (4 मार्च) रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वहीं, गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप पूजा-पाठ कर सकते हैं।

    गणेश जी प्रिय भोग - मोतीचूर के लड्डू, मोदक, पूरन पोली, ताजे फल, पान-सुपारी, और करंजी का भोग आदि।

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    विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Vinayak Chaturthi 2025 Puja Vidhi)

    इस दिन पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। एक चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत से उनका अभिषेक करें। सिंदूर, कुमकुम का तिलक लगाएं। गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें। मोदक या फिर घर पर बनी किसी भी मिठाई का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। बप्पा के वैदिक मंत्रों का उच्चारण करें। चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती करें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें।

    भक्त भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद से अगले दिन व्रत का पारण करें। गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र भूलकर भी शामिल न करें। इसके साथ ही पूजा में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।