Holashtak 2025: होलाष्टक पर की गईं ये गलतियां आपको कर सकती हैं परेशान, न करें अनदेखा!
हिंदू धर्म में होलाष्टक काल बहुत महत्व रखता है। यह होली से ठीक आठ दिन पहले शुरू होते हैं। इस दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। हालांकि इस काल में पूजा-पाठ ज्यादा से ज्यादा करने की सलाह दी जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल होलाष्टक (Holashtak 2025) कब मनाया जाएगा और इसके नियम क्या हैं? आइए यहां पर जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। होलाष्टक की अवधि बेहद महत्वपूर्ण होती है। यह अवधि शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ मानी जाती है। होलाष्टक की शुरुआत हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है और इसका समापन पूर्णिमा तिथि को होता है। होलाष्टक के दौरान लोगों के अपने-अपने रीति-रिवाज हैं, जिनकी जानकारी बहुत कम लोगों को होती है। पंचांग के अनुसार, इस साल होलाष्टक 07 मार्च से शुरू हो रहे हैं।
अगर आप इसके अशुभ प्रभाव से बचना चाहते हैं, तो इसकी (Holashtak 2025) शुरुआत होने से पहले इसके नियम जरूर जान लें, जो इस प्रकार हैं।
कब से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक? (Holashtak 2025 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलाष्टक 07 मार्च से शुरू हो रहे हैं। वहीं, इसका समापन होलिका दहन के दिन यानी 13 मार्च 2025 को होगा। वहीं, 14 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा।
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होलाष्टक नियम (Holashtak 2025 Rules)
- होलाष्टक के दौरान अपने बाल और नाखून काटने से बचें।
- इस दौरान विवाह, मुंडन संस्कार, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ काम करने से बचना चाहिए।
- होलाष्टक के दौरान लोगों को ब्रह्मचर्य बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
- इन दिनों में आध्यात्मिक और धार्मिक कामों से जुड़े रहना चाहिए।
- इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- इस अवधि में भगवत गीता का पाठ जरूर करना चाहिए।
- इन दिनों में हवन करना भी पुण्यदायी माना जाता है।
- इस दौरान जरूरतमंद लोगों को पुराने कपड़े और चप्पलें आदि दान करनी चाहिए।
- इस अवधि में तामसिक भोजन जैसे - लहसुन, प्याज, अंडा और मांस आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।
- इस दौरान घर और मंदिर को प्रतिदिन साफ करना चाहिए।
- इस अवधि के दौरान विवाद करने से बचना चाहिए।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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