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    Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी के दिन इस स्तोत्र का करें पाठ, जीवन के संकट होंगे दूर

    By Jagran News Edited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 11 Jan 2024 12:48 PM (IST)

    हर माह में चतुर्थी का पर्व दो बार आता है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस बार साल 2024 की विनायक चतुर्थी 14 जनवरी रविवार के दिन मनाई जाएगी। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा-व्रत करने से साधक के जीवन के संकट दूर होते हैं।

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    Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी के दिन इस स्तोत्र का करें पाठ, जीवन के संकट होंगे दूर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Vinayak Chaturthi 2024: सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का दिन भगवान गणेश जी के लिए समर्पित है। हर माह में चतुर्थी का पर्व दो बार आता है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस बार साल 2024 की पहली विनायक चतुर्थी 14 जनवरी, रविवार के दिन मनाई जाएगी। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा-व्रत करने से साधक के जीवन के संकट दूर होते हैं और गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी की पूजा के दौरान गणेश स्तोत्र का पाठ करने या सुनने से पूजा सफल होती है। साथ ही सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। चलिए पढ़ते हैं गणेश स्तोत्र ।

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    गणेश स्तोत्र: (Ganesh Stotram Lyrics)

    प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

    भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

    प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

    तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

    लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

    सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

    नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

    न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

    पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

    जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

    संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

    अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

    ॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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    संतान गणपति स्तोत्र (Santan Ganpati Stotram Lyrics)

    नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

    सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

    गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

    गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

    विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

    नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

    एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

    प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

    शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

    भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

    ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

    पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

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    Author- Kaushik Sharma

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।