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    Vat Savitri Vrat पर पूजा के समय कर लें इस स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 25 May 2025 11:10 PM (IST)

    हर साल जयेष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस साल मंगलवार 27 मई को ज्येष्ठ अमावस्या है। इसके एक दिन पूर्व 26 मई को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2025 Puja Vidhi) मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं। शनि जयंती के दिन दान करना शुभ माना जाता है।

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    Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार 26 मई को वट सावित्री व्रत मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर मृत्यु के देवता यमराज और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    धार्मिक मत है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रत रख वट वृक्ष की पूजा करने से व्रती को मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहती हैं, तो वट सावित्री व्रत के दिन पूजा के समय शिव रक्षा स्तोत्र और श्रीहरि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।   

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    श्रीहरि स्तोत्र

    जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

    नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥

    सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

    गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं

    चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥

    जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं

    जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥

    कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

    स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥

    समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

    सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥

    सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

    सदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं

    मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥

    इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारेः

    स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥

    श्रीशिवरक्षास्तोत्र

    चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।

    अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥

    गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।

    शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः॥

    गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः।

    नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषण॥

    घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।

    जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः॥

    श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।

    भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्॥

    हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः।

    नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः॥

    सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।

    उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः॥

    जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।

    चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः॥

    तां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।

    स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥

    ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।

    दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्॥

    अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।

    भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्॥

    इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत्।

    प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत॥

    शिव रक्षा स्तोत्र के लाभ

    शिव रक्षा स्तोत्र के पाठ से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही शिव जी साधक की रक्षा करती हैं। वहीं, हरि स्तोत्र के पाठ से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा, घर में सुख, शांति एवं खुशहाली आती है। ज्योतिष भी पूजा के समय शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने की सलाह देते हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।