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    Vat Savitri Vrat 2024: क्यों ज्येष्ठ महीने में दो बार रखा जाता है वट सावित्री व्रत? यहां जानें

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 30 May 2024 05:31 PM (IST)

    वट सावित्री व्रत पर धृति योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष धृति योग को शुभ और श्रेष्ठ मानते हैं। इस योग में पूजा समेत शुभ कार्य कर सकते हैं। धृति योग का संयोग देर रात 10 बजकर 09 मिनट तक है। इस योग में महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

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    Vat Savitri Vrat 2024: क्यों ज्येष्ठ महीने में दो बार रखा जाता है वट सावित्री व्रत?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vat Savitri Vrat 2024: हर वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस दिन शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस्या भी मनाई जाती है। शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर न्याय के देवता शनिदेव का अवतरण हुआ है। इस वर्ष 06 जून को वट सावित्री व्रत है। इसी दिन शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं। व्रती वट वृक्ष की पूजा करने तक उपवास रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही नवविवाहित महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों ज्येष्ठ माह में दो बार वट सावित्री व्रत मनाया जाता है? आइए जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 05 जून को संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 06 जून को ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। इसी दिन वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। वहीं, ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा तिथि पर भी वट सावित्री व्रत रखा जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 21 जून को भी वट सावित्री व्रत रखा जाएगा।

    क्यों दो बार रखा जाता है व्रत?

    धर्म पंडितों एवं विद्वानों के मध्य वट सावित्री व्रत की तिथि को लेकर मतभेद है। कई विद्वान ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत रखने की सलाह देते हैं। इस तिथि पर उत्तर भारत, नेपाल और मिथिला के क्षेत्रों में वट सावित्री व्रत रखा जाता है। हालांकि, पश्चिम और दक्षिण भारत में पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखा जाता है। विद्वानों की मानें तो भविष्य पुराण में पूर्णिमा तिथि पर वट सावित्री व्रत रखने का वर्णन है। इसके लिए गुजरात और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। हालांकि, व्रत पुण्य फल समान होता है। साथ ही दोनों ही व्रत पति की लंबी आयु और पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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