Vat Savitri Vrat 2024: इन 02 शुभ योग में मनाया वट सावित्री व्रत, प्राप्त होगा अखंड सौभाग्य का वरदान
इस व्रत के पुण्य प्रताप से पति की आयु लंबी होती है। साथ ही नवविवाहित महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। वट सावित्री व्रत की तिथि को लेकर विभिन्न मत हैं। उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। वहीं गुजरात और महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vat Savitri Vrat 2024: हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस वर्ष 06 जून को वट सावित्री व्रत है। इस दिन विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं। साथ ही व्रत-उपवास भी रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से पति की आयु लंबी होती है। साथ ही नवविवाहित महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। वट सावित्री व्रत की तिथि को लेकर विभिन्न मत हैं। उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। वहीं, गुजरात और महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। अविवाहित लड़कियां भी ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर सकती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो वट सावित्री व्रत यानी ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर दो मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। आइए, शुभ योग के बारे में जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून को संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। व्रती अपनी सुविधा अनुसार स्नान-ध्यान के बाद वट वृक्ष की पूजा कर सकती हैं।
धृति योग
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर धृति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 10 बजकर 09 मिनट तक है। ज्योतिष धृति योग को शुभ मानते हैं। शुभ कार्यों के लिए धृति योग बेहद श्रेष्ठ माना जाता है। इस योग में पूजा-उपासना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।
शिववास योग
वट सावित्री व्रत पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शिववास योग संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट तक है। इस समय तक भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। शिव पुराण में निहित है कि भगवान शिव के मां गौरी के साथ रहने के समय में महादेव का अभिषेक करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 से 12 बजकर 40 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक
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