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    Vat Savitri Purnima 2025: इस कथा के बिना अधूरी है वट सावित्री पूर्णिमा, जरूर करें इसका पाठ

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 06:45 AM (IST)

    वट सावित्री पूर्णिमा (Vat Savitri Purnima 2025) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने वाली महिलाओं को इसकी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे।

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    Vat Savitri Purnima 2025: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वट सावित्री पूर्णिमा का हिंदुओं के बीच खास महत्व है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह पावन व्रत 10 जून, 2025 यानी आज के दिन रखा जा रहा है।

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    वहीं, जो महिलाएं इस व्रत (Vat Savitri Purnima 2025) का पालन करती हैं, उन्हें इसकी व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना पूजा पूरी नहीं होती है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ (Vat Savitri Purnima 2025 Katha)

    Img Caption - Freepic

    एक समय की बात है राजा अश्वपति और उनकी पत्नी मालवी के कोई संतान नहीं थी। उन्होंने देवी सावित्री की कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें एक पुत्री का वरदान दिया। उस कन्या का नाम भी सावित्री रखा गया। सावित्री जब विवाह के योग्य हुई, तो उन्होंने अपने पिता से एक साधारण युवक सत्यवान के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की, जो कि एक वनवासी थे और उनकी आयु भी कम थी। जब सावित्री के पिता को यह बात पता चली, तो वे चिंतित हुए, लेकिन सावित्री अपने निर्णय पर अटल थी। सावित्री और सत्यवान का विवाह हो गया और वे खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगें।

    सावित्री को ये बात अच्छे से पता थी कि सत्यवान की उम्र ज्यादा नहीं है, इसलिए वह हमेशा अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करती रहती थी। एक दिन जब सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने गए थे, तो सावित्री भी उनके साथ गईं। अचानक सत्यवान गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गई। यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए।

    सावित्री ने यमराज का पीछा किया और उनसे अपने पति के प्राण वापस करने की प्रार्थना की।

    सावित्री की भक्ति और पतिव्रत धर्म को देखकर यमराज ने सावित्री को कई वरदान दिए। अंत में सावित्री ने अपने पति के प्राण वापस मांगे। यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान को जीवन दान दिया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।