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    Vat Purnima Vrat 2024: वट सावित्री पूर्णिमा पर करें यह आरती, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

    Updated: Thu, 20 Jun 2024 01:51 PM (IST)

    सनातन धर्म में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत बेहद शुभ माना गया है। इस दौरान बरगद के पेड़ की पूजा का खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मौके पर बरगद के वृक्ष की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन कल्याण की ओर अग्रसर होता है। इस साल यह पर्व 21 जून को मनाया जाएगा।

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    Vat Purnima Vrat 2024: यम देव की आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वट पूर्णिमा का पर्व बहुत पवित्र माना जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस साल यह पर्व (Vat Purnima Vrat 2024) 21 जून, 2024 को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है, जो लोग इस कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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    साथ ही जीवन की समस्याओं का अंत होता है। इसके अलावा इस मौके पर यम देव की आरती का पाठ भी बहुत फलदायी माना गया है।

    ।।यम देव की आरती।।

    धर्मराज कर सिद्ध काज,

    प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी ।

    पड़ी नाव मझदार भंवर में,

    पार करो, न करो देरी ॥

    ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥

    धर्मलोक के तुम स्वामी,

    श्री यमराज कहलाते हो ।

    जों जों प्राणी कर्म करत हैं,

    तुम सब लिखते जाते हो ॥

    अंत समय में सब ही को,

    तुम दूत भेज बुलाते हो ।

    पाप पुण्य का सारा लेखा,

    उनको बांच सुनते हो ॥

    भुगताते हो प्राणिन को तुम,

    लख चौरासी की फेरी ॥

    ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥

    चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे,

    फुर्ती से लिखने वाले ।

    अलग अगल से सब जीवों का,

    लेखा जोखा लेने वाले ॥

    पापी जन को पकड़ बुलाते,

    नरको में ढाने वाले ।

    बुरे काम करने वालो को,

    खूब सजा देने वाले ॥

    कोई नही बच पाता न,

    याय निति ऐसी तेरी ॥

    ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥

    दूत भयंकर तेरे स्वामी,

    बड़े बड़े दर जाते हैं ।

    पापी जन तो जिन्हें देखते ही,

    भय से थर्राते हैं ॥

    बांध गले में रस्सी वे,

    पापी जन को ले जाते हैं ।

    चाबुक मार लाते,

    जरा रहम नहीं मन में लाते हैं ॥

    नरक कुंड भुगताते उनको,

    नहीं मिलती जिसमें सेरी ॥

    ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥

    धर्मी जन को धर्मराज,

    तुम खुद ही लेने आते हो ।

    सादर ले जाकर उनको तुम,

    स्वर्ग धाम पहुचाते हो ।

    जों जन पाप कपट से डरकर,

    तेरी भक्ति करते हैं ।

    नर्क यातना कभी ना करते,

    भवसागर तरते हैं ॥

    कपिल मोहन पर कृपा करिये,

    जपता हूँ तेरी माला ॥

    ॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

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