Vasuki Kaal Sarp Dosh: कब और कैसे लगता है वासुकी कालसर्प दोष? इन उपायों से करें बचाव
सनातन शास्त्रों में निहित है कि समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। अमृत पान के दौरान सूर्य एवं चंद्र देव ने स्वरभानु को पहचान लिया था। उस समय भगवान विष्णु ने स्वरभानु का वध कर दिया था। स्वरभानु ही मायावी ग्रह राहु एवं केतु (Vasuki Kaal Sarp Dosh) हैं। दोनों ही वक्री चाल चलते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, साल 2025 कई राशि के जातकों के लिए मंगलकारी साबित हो सकता है। अगले साल कई ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। मायावी ग्रह राहु और केतु भी अपनी स्थिति बदलेंगे। राहु और केतु के राशि परिवर्तन से मीन और कन्या राशि के जातकों को लाभ मिलेगा। वहीं, सिंह और कुंभ राशि के जातकों को सावधान रहने की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन क्या आपको पता है कि वासुकी कालसर्प दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh) कब लगता है और यह कितना खतरनाक होता है? आइए, वासुकी कालसर्प दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं।
यह भी पढ़ें: Masik Shivratri 2024 Upay: जल्द शादी करने के लिए शिवरात्रि पर करें ये उपाय, मिलेगा मनचाहा लाइफ पार्टनर
वासुकी कालसर्प दोष के प्रभाव
ज्योतिषियों की मानें तो वासुकी कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को जीवन में संघर्षों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा क्षेत्र में जल्द सफलता नहीं मिलती है। परिवार में कलह की स्थिति रहती है। धैर्य में कमी होने लगती है। आत्मबल कमजोर होने लगता है। व्यक्ति लाख चाहकर न खुश रह पाता है और न ही सफल हो पाता है। कुल मिलाकर कहें तो वासुकी कालसर्प दोष शुभ नहीं होता है।
वासुकी कालसर्प दोष
मायावी ग्रह राहु के तीसरे भाव और केतु के नौवें भाव में रहने से कुंडली में वासुकी कालसर्प दोष बनता है। हालांकि, राहु और केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रहों का रहना जरूरी है। इसके लिए योग्य ज्योतिष से कालसर्प दोष का विचार कराना चाहिए। कालसर्प दोष का निवारण अनिवार्य यानी जरूरी है। इसके बाद व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति आती है।
उपाय
ज्योतिषियों का कहना है कि वासुकी कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही हर मंगलवार के दिन लाल रंग की चीजों का दान करें। इसके अलावा, राहु और केतु के बीज मंत्र का जप करना चाहिए। भगवान शिव की रोजाना पूजा करें। देवों के देव महादेव की पूजा करने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। हालांकि, वासुकी कालसर्प दोष का निवारण कराना उत्तम है। इसके लिए अपनी सुविधा अनुसार समय पर वासुकी कालसर्प दोष का निवारण करा लें।
यह भी पढ़ें: कब है गुरु गोबिंद सिंह जयंती? क्या हैं इनकी शिक्षाएं
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।